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रिप्लेस होगा???

riples hoga???

हरीश मंगलम्

हरीश मंगलम्

रिप्लेस होगा???

हरीश मंगलम्

और अधिकहरीश मंगलम्

    युगों से

    नसों में ख़ून ठंडा होकर जम गया है।

    ख़ून ठंडा हो जाए

    तब भी जिया जा सकता है

    मेरी तरह-तुम्हारी तरह

    हाँ, हमारी तरह!

    आओ

    ठंडा हो जाना इस क्रिया की लाश को दफ़ना दें

    इसके पहले कि

    यह मुझे-तुम्हें-हमें

    दफ़ना दे।

    सहअस्तित्व की भावना

    अविभक्त कुटुंब के जाल में

    लगातार होते हिम-प्रपात से

    ठिठुर गई है...

    उसे कहीं भटकता देखो तो

    थोड़ा भावुक होना (अगर हो सको तो)

    वह तो युगों से

    इसी तरह भटक रही है

    भटकती रहेगी,

    लेकिन अपना ख़ून कभी रिप्लेस होगा???

    या, युगों से...

    स्रोत :
    • पुस्तक : गुजराती दलित कविता (पृष्ठ 123)
    • संपादक : अनुवाद एवं संपादन : मालिनी गौतम
    • रचनाकार : हरीश मंगलम्
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 2022

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