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रवींद्रनाथ के प्रति

rawindrnath ke prati

अनुवाद : उत्पल बैनर्जी

सुकांत भट्टाचार्य

सुकांत भट्टाचार्य

रवींद्रनाथ के प्रति

सुकांत भट्टाचार्य

और अधिकसुकांत भट्टाचार्य

    अब भी मेरे मन में तुम्हारी उजली मौजूदगी

    हर एकांत पल में भली-भाँति मदमस्त कर देती है,

    अब भी तुम्हारे गीत सुनकर सहसा उमंग से भर उठता हूँ

    और बिना किसी डर के

    भूख की ख़ामोश तनी हुई भौंहों को नज़रअंदाज़ कर देता हूँ

    अब भी प्राणों की तहों में

    तुम्हारे दान की मिट्टी सोने की फ़सल उठाए रखती है

    अब भी स्वगत भावावेग लिए हुए

    तुम्हारी रचनाएँ मन के गहरे अँधेरे में जागी रहती हैं।

    फिर भी भूखे दिन अपने साम्राज्य का

    क्रमशः विस्तार करते चलते हैं

    और हम हमलावर मौत के शिकार बन

    चुपचाप अपमानित होते रहते हैं

    भले ही आज लहूलुहान हैं दिन

    फिर भी मैं तुम्हारी दीप्त रचनाओं को

    अब भी अपने मन की हर दिशा में प्रतिष्ठित करता हूँ।

    फिर भी हर रोज़ का उपवास

    मेरे मन की ज़मीन पर छोड़ता है गहरी साँसें—

    मैं एक दुर्भिक्ष का कवि हूँ,

    मैं रोज़ दुःस्वप्न में मौत का साफ़-साफ़ प्रतिबिंब देखता हूँ

    खाने की लाइन में इंतज़ार करते बीतता है मेरा वसंत

    मेरी उनींदी रातों में चौकन्ना साइरन आवाज़ देता है,

    बेकार के इस निर्मम ख़ूनख़राबे से सिहर उठता हूँ मैं

    दोनों हाथों की निष्ठुर बेड़ियाँ देख भर जाता हूँ विस्मय से।

    इसीलिए आज मुझे भी भरोसा है कि

    शांति की ललित वाणी सुनाएगी व्यर्थ का परिहास।

    इसीलिए आज देखता हूँ

    दानवों से लड़ने के लिए

    शपथ लेकर हर घर में तैयार हैं लोग।

    स्रोत :
    • पुस्तक : मैंने अभी-अभी सपनों के बीज बोए थे (पृष्ठ 53)
    • रचनाकार : सुकांत भट्टाचार्य
    • प्रकाशन : संवाद प्रकाशन
    • संस्करण : 2006
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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