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रास्ते के कुत्तों का गीत

raste ke kutton ka geet

अनुवाद : मीता दास

नवारुण भट्टाचार्य

नवारुण भट्टाचार्य

रास्ते के कुत्तों का गीत

नवारुण भट्टाचार्य

और अधिकनवारुण भट्टाचार्य

    शहर में जितने भी शॉपिंग मॉल हैं

    शहर में जितने भी फ्लाई ओवर हैं

    हम उतने ही कोने में दुबके हुए हैं

    हम उतने ही हटाने योग्य हैं

    उठ जाएँगे जितनी भी हैं छोटी दुकानें

    उठ जाएँगे जितने भी हैं चाय के ठेले

    हम उतना ही गँवाते जाएँगे

    बुझे हुए चूल्हों में बचाई हुई आँच

    जितना भी चढ़े हाईराइज़

    उतनी ही कम होगी तेज़ धूप

    हम उतने ही असहाय होंगे

    कुछ भी नहीं होगा मसनदों का

    शहर में जितने ग़रीब कम होंगे

    हमें भोजन कम मिलेगा

    अमीरों के शहर में हैं हम

    पूरी दुनिया ही है इसी तरह की

    संड़सी से पकड़ कर चालान करेंगे

    मृत्यु शिविर में ...पिंजरा खोल

    बग़ैर अपराध के ही सूखकर मर जाएँगे

    जवाब में नहीं होगा हो-हल्ला

    शहर हँसेगा फ्लोरोसेंट वाले दाँतों से

    गटक जाएगा शराब, चबाएँगे हाड़

    तब हम होंगे लुब्धक

    आकाश कुत्ता, तारों के हार।

    स्रोत :
    • पुस्तक : नवारुण भट्टाचार्य की कविताएँ (पृष्ठ 44)
    • रचनाकार : नवारुण भट्टाचार्य
    • प्रकाशन : ज्योतिपर्व प्रकाशन
    • संस्करण : 2015

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