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रात

raat

प्रियदर्शन

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    हालाँकि अँधेरी होती है, लेकिन रात फिर भी बहुत कुछ बताती है

    रात होती तो हमें मालूम होता कि

    आसमान कितनी दूरस्थ संभावनाओं से लैस एक जगमग उपस्थिति है

    हम सिर्फ सूरज की चुँधियाती रोशनी में

    आते-जाते और छाते बादलों के रंग देखते और फिर किसी सुबह या शाम

    नाख़ून जैसे चाँद को देखकर चिहुँक पड़ते

    सितारों और आकाशगंगाओं से हमारा परिचय रात ने कराया है

    हमारी बहुत सारी कल्पनाएँ रात की काली चादर में

    चाँद-सितारों की तरह टँकी पड़ी हैं

    हमारी बहुत सारी कहानियों की ओट में है रात

    जो हमारी नींद पर अँधेरे की चादर डाल देती है

    जो हमारे सपनों की रखवाली करती है

    जो हमें अगली सुबह के लिए तैयार करती है

    उसमें दिन वाला ताप और उसकी चमक-दमक भले हो

    एक छुपी हुई शीतल मनुष्यता है

    जो अँधेरे में भी महसूस की जा सकती है

    ध्यान से देखो तो रात हमारे जीवन की सबसे पुरानी बुढ़िया की तरह नज़र आती है क्षितिज के एक छोर से दूसरे छोर तक अपने काले बाल पसारे

    सुनाती हुई हमें एक कहानी जो सभ्यता की पहली रात से जारी है

    सोए-सोए हम कहानी में दाख़िल हो जाते हैं

    हम जिन्हें सपने कहते हैं वे रात की सुनाई हुई कहानियाँ ही तो हैं

    जो हर सुबह थम जाती हैं

    और रात को नए सिरे से शुरू हो जाती हैं

    सारे देवता, सारे राक्षस, सारे सिकंदर, सारे शहज़ादे, सारी परियाँ

    तरह-तरह के रूप धर इन कहानियों में चले आते हैं

    दरअसल, यह रात का जादू है

    जो सबसे ज्यादा प्रकाश की साज़िश से परिचय कराता है

    रात को देखकर ही समझ में आता है कि

    हमेशा अँधेरा प्रकाश का शत्रु नहीं होता

    प्रकाश भी प्रकाश का शत्रु होता है

    बड़ा प्रकाश छोटे-छोटे प्रकाशों को छुपा लेता है

    या क़रीब के प्रकाश में दूर के प्रकाश नहीं दीखते

    सूरज की रोशनी मे जो सितारे खो जाते हैं

    रात उन्हें जगाती है,

    हम तक ले आती है

    रात को ठीक से समझो तो हमेशा अँधेरे से डर नहीं लगेगा,

    बल्कि समझ में आएगा अँधेरे में भी छुपी रहती हैं प्रकाश की गलियाँ

    और जिसे हम प्रकाश समझते हैं उसमें भी बहुत अँधेरा होता है

    यही वजह है कि हमारी रातों में जितनी रोशनी बढ़ती जा रही है

    हमारे दिनों में उतना ही अँधेरा भी बढ़ता जा रहा है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : प्रियदर्शन
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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