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रात के रतजगे को झटकते

raat ke ratjage ko jhatakte

सत्यपाल सहगल

सत्यपाल सहगल

रात के रतजगे को झटकते

सत्यपाल सहगल

और अधिकसत्यपाल सहगल

    रात के रतजगे को झटकते

    सुबह के श्वान

    सुबह की सड़कों पर…

    सुबह की सड़कें!

    रात के थके तम्बू

    औ’ क़नातें और दरियाँ

    सुबह की सड़कें!

    एक खुलता लिफ़ाफ़ा

    सूँघते उसमें

    ढूँढ़ते गुप्त एक संदेश

    सुबह के श्वान

    स्रोत :
    • रचनाकार : सत्यपाल सहगल
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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