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क़ब्र में कसमसाती है नीरो की आत्मा

qabr mein kasmasati hai niro ki aatma

अरुण आदित्य

अरुण आदित्य

क़ब्र में कसमसाती है नीरो की आत्मा

अरुण आदित्य

और अधिकअरुण आदित्य

    हर बात का विरोध करना विरोधियों का धर्म है

    वरना एक महान हीरो था नीरो

    लोग लानत भेजते हैं कि जब रोम जल रहा था

    नीरो बजा रहा था बाँसुरी

    ऐसे लोग सिर्फ़ संगीत का अपमान करते हैं

    पारंपरिक ज्ञान विज्ञान का भी करते हैं उपहास

    जुपिटर और अपोलो जैसे देवता भी

    नहीं समझा सकते इन्हें

    कि कितना संवेदनशील कला रसिक था नीरो

    कि उसके रोम-रोम में बसा था रोम

    कि रोम के भले के लिए ही वह बजा रहा था बाँसुरी

    संगीतकारों, ज्योतिषियों और वैज्ञानिकों की

    संयुक्त समिति ने दिया था परामर्श

    कि राजा बजाएगा बाजा

    तो आकर्षित होंगे बादल

    और बारिश होगी ऐसी झमा-झम

    कि बिन बुझाए बुझ जाएगी रोम की आग

    समाजशास्त्रियों ने भी कहा था कि

    बाँसुरी की मधुर धुन

    रोमवासियों में करेगी एकता और उत्साह का संचार

    और एकजुट होकर आपदा से लड़ सकेंगे लोग

    शर्त सिर्फ़ और सिर्फ़ इतनी थी कि

    आपदा प्रबंधन की इस सांस्कृतिक पहल पर

    सबको बजानी होगी ताली

    पर विरोधियों के बहकावे में कुछ लोग देने लगे गाली

    इस तरह कुछ रोमद्रोही लोगों के असहयोग से

    असफल हुआ एक महान प्रयोग

    क़ब्र में कसमसाती है नीरो की आत्मा

    काश उस समय ही हो गया होता

    ख़बरी चैनलों का आविष्कार।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अरुण आदित्य
    • प्रकाशन : बया, जनवरी-मार्च, 2024

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