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पुराने ज़ख़्म का इलाज नया ज़ख़्म है यहाँ!

purane zakhm ka ilaj naya zakhm hai yahan!

अमित धर्मसिंह

अमित धर्मसिंह

पुराने ज़ख़्म का इलाज नया ज़ख़्म है यहाँ!

अमित धर्मसिंह

और अधिकअमित धर्मसिंह

    तुम उसके पास दाँत का दर्द लेकर पहुँचे,

    उसने तुम्हारा कान उखाड़ दिया,

    अब तुम कान को लेकर चीख़ रहे हो!

    इस चीख़ में तुम्हारे दाँत का दर्द दब गया है,

    पहले दर्द की जगह

    एक दूसरे दर्द ने ले ली है।

    दूसरे की तीव्रता इतनी है

    कि पहले सभी दर्द बौने पड़ गए हैं

    तुम्हारे पास दर्द से कराहने के लिए

    अब एक नया और ताज़ा ज़ख़्म है

    अब तुम उसका इलाज तलाश रहे हो,

    पुराने दर्द और ज़ख़्म

    बग़ैर इलाज के ही ठीक मान लिए गए हैं

    या पीछे धकेल दिए गए हैं

    या उनके उपचार ढूँढ़ने की

    अब फ़ुरसत ही नहीं तुम्हारे पास।

    अब तुम

    ताज़े ज़ख़्म से बहते ख़ून को रोकने में व्यस्त हो,

    इलाज भी बाद में ढूँढ़ोगे,

    जब तुम इस ताज़े ज़ख़्म का

    इलाज खोजने में कामयाब होओगे

    या इलाज के बिल्कुल निकट होओगे

    ठीक उसी वक़्त

    फिर तुम्हें

    एक नया ज़ख़्म दिया जाएगा।

    वह नया ज़ख़्म फिर

    तुम्हारे इस ताज़े ज़ख़्म की

    तीव्रता को कम कर देगा

    या ज़ख़्म के उपचार को गुमा देगा,

    तुम फिर नए ज़ख़्म से रक्त पोंछते हुए

    उसके उपचार की तलाश में मशग़ूल हो जाओगे,

    पुराने ज़ख़्म किसी अनसुलझे केस की तरह

    बग़ैर उपचार,

    इतिहास की गहरी खाई में जमा होते रहेंगे,

    जिनकी सुध तुम कभी ले सकोगे

    कोई और।

    उपचार के लिए तुम्हारे पहले ज़ख़्म थे

    आज के ज़ख़्म हैं

    और कल के ज़ख़्म होंगे!

    तुम्हारे हर ज़ख़्म का इलाज

    एक नया ज़ख़्म बना दिया गया है

    जो तुम्हें खाते जाना है,

    नए ज़ख़्मों पर रोते जाना है,

    पुराने ज़ख़्मों को भुलाते जाना है,

    कि इस व्यवस्था में

    हर पुराने ज़ख़्म का इलाज

    एक नया ज़ख़्म है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अमित धर्मसिंह
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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