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प्रेमिका के लिए

premika ke liye

अरमान आनंद

अरमान आनंद

प्रेमिका के लिए

अरमान आनंद

जितनी मिठास तुम्हारी ज़ुबान पर है

उतना ही नमक तुम्हारे देह से लिपटा हुआ है

सौंदर्य शाम को पीपल पर

अटके चाँद से तुम्हारी खिड़की पर उतरता है

और भोर भर तुम्हें सँवारा करता है

तुम एक ऐसी गुलाब हो

जिसमे कलियों का कच्चापन अभी बाक़ी है

बेफ़िक्र-अल्हड़-बेपरवाह

लड़की

तुम देह में ढली हुई एक नदी हो

जिसके अलावा इस दुनिया की हर शै रेत है

तुम्हारा शरीर

जैसे हरसिंगार की लदी हुई डाल है

जिसके नीचे मेरा हृदय नाग की तरह डोल रहा है

तुम स्वर्ग से उतरी हुई वह नायिका हो

जो प्रेमियों को प्रेम

काम को वासना

साधु को श्रद्धा सिखाती है

तुम्हारे केश

काजल से बने रेशम के धागे हैं

तुम्हारी आँखों की पुतलियों में

बचपन शरारत बनकर नाचता फिरता है

तुम्हारे होंठ काम के खिंचे हुए धनुष हैं

इन पर थरथराती मुस्कान मोनालिसा की याद दिलाते हैं

तुम्हारे कंधों पर वासना का वास है

तुम्हारे स्तन

अड़हुल के दो फूल हैं

तुम्हारी नाभि

अमृत-कुंड है

तुम्हारी पीठ

आशिक़ों का आईना है

तुम्हारी जाँघें

प्रीतम को सुलाने का उत्तम प्रदेश हैं

तुम्हारी चाल हिरणियों को कुलाचें भरना सिखाती है

आशिक़ों को जान देना

तुम्हारे महावर लगे पैर

शुभता के प्रतीक हैं

इन्हें घर के भीतर आने दो

तुम हो तो ये घर

आँगन

ये जीवन ख़ुश है

कभी अकेली अँधियारी रातों में

आना मेरे कलेजे पर पाँव रख देना

स्रोत :
  • रचनाकार : अरमान आनंद
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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