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प्रवेश

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा

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मनोज शर्मा

और अधिकमनोज शर्मा

    एक बस में हैं हम

    अपनी-अपनी यात्रा में हैं सवारियाँ

    साथी सीट पर एक माँ

    अपनी नन्ही बिटिया संग उपस्थित है

    बच्ची माँ की गोद में मचली तथा

    साधिकार खींच लिया मेरा ध्यान

    पता ही चला कि उसने कब

    मेरा शरीर भी खींच लिया है, और अब

    मेरी ही गोदी से

    उठने लगी हैं किलकारियाँ

    मेरी क़मीज़ पर लगी बच्ची की थूक

    बच्ची ने खनकाए हाथ के कड़े,

    जो लगे बेहद भले

    बच्ची ने अगली सीट पर बैठे सरदार जी की खींची पगड़ी

    पलट मुस्कराए सरदार जी

    दूर बैठी गुमसुम किसी औरत ने इशारा दोहराया, वहीं से

    खिलखिलाती बच्ची ने खिड़की के शीशे पे मारा हाथ

    यह उसका ज़ोरदार दख़ल था

    बस से बाहर की हरियाली भागती रही संग

    बस के भीतर भले लगने लगे लोग

    इसी बीच, बेहिचक

    कुछ नींद ले ली

    बच्ची की माँ ने।

    स्रोत :
    • रचनाकार : मनोज शर्मा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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