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प्रतिगूँज

pratigunj

सपना भट्ट

सपना भट्ट

प्रतिगूँज

सपना भट्ट

वाद्य-यंत्रों से भरे कमरे में

होता है सबसे ज़्यादा सन्नाटा

जगमग करती दीये की लौ

बताती है तिमिर के सघनतम बिंदु का ठिकाना

मुदित हास से लबालब

भरे कंठ का आलाप,

दरअस्ल

सबसे रुआँसे गीत

की प्रतिगूँज होता है

किसी प्रेमिल याद से भरे

अंतस का आयतन

दो लोगों के बीच पसरे

शून्य का मृत चरम होता है जैसे

बस ठीक उसी तरह

मैं जानती हूँ कि हर बार तुम्हारा

मेरे साथ होने का दावा

और कुछ नहीं

बल्कि

सूखी नदी में चमकती रेत

सरीखा एक भरम

एक दिलासा होता है।

स्रोत :
  • रचनाकार : सपना भट्ट
  • प्रकाशन : इबारत वेब पत्रिका

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