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प्राग 2017

prag 2017

गिरिराज किराडू

और अधिकगिरिराज किराडू

    मैं फ़ुटबाल स्टेडियम में बने होटेल में ठहरा हूँ

    दिन भर चार्ल्स ब्रिज के पार पुराना शहर

    चौराहा बोहेमिया की मटमैली शाम

    काफ़्का इस शहर में टूरिज़्म की शै है

    निर्मल वर्मा का लिखा गल्प नहीं है मेरी याद में

    सरकारी थिएटर की इमारत शायद तब भी वैसी रही होगी

    शाम को स्टेडियम में सैकड़ों नवनाज़ी

    नाज़ियों के हाथ में बीयर भी नाज़ी लगती है

    जो निष्पक्ष है सुरक्षित नहीं टिकट खिड़की पर मुझसे कहा जाता है

    मैं चेक क्लब का मफ़लर गले में डालता हूँ

    और सोचता हूँ अब दो घंटे के लिए मैं चेक हूँ

    स्रोत :
    • रचनाकार : गिरिराज किराडू
    • प्रकाशन : सदानीरा वेब पत्रिका

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