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चौराहा

chauraha

अनुवाद : प्रियंकर पालीवाल

आफजल अली

आफजल अली

चौराहा

आफजल अली

और अधिकआफजल अली

    रात और दिन बुन रहा हूँ अरण्य

    शोक से निकल महावैश्विक तीर

    दौड़ता जाता है अतीत के अभयारण्य की ओर—

    बादल-भरे आकाश!

    तुम्हीं बताओ और कितनी तेज़ धार वाला बन सकता हूँ मैं!

    टेबुल के चारों पायों के पत्थर में मेरी अपनी पृथ्वी हज़ारों बारिश का

    स्थायी आवास, पाप धोने वाली सुरंग के चित्रों में अंकित रक्तहीन आत्मा की

    दिनचर्या

    जो मुझे अब भी अपराजित लगते हैं—

    हे सूर्य— सिर्फ़ तुम्हारे ही

    कारण उन्हें मैंने देशनिकाला नहीं दिया

    इसके बाद भी बिला-वज्ह

    चौराहे से लेकर इतनी दूर तक भटकाओगे तुम?

    स्रोत :
    • पुस्तक : अधुनांतिक बांग्ला कविता (पृष्ठ 127)
    • संपादक : समीर रायचौधुरी, ओम निश्चल
    • रचनाकार : आफजल अली
    • प्रकाशन : परमेश्वरी प्रकाशन
    • संस्करण : 2004
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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