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मॉनिका : जहाँ भी रहे

maunika ha jahan bhi rahe

अनुवाद : राजेंद्र प्रसाद मिश्र

प्रसन्न कुमार मिश्र

प्रसन्न कुमार मिश्र

मॉनिका : जहाँ भी रहे

प्रसन्न कुमार मिश्र

और अधिकप्रसन्न कुमार मिश्र

    काँची में

    या

    साँची में

    जहाँ भी रहे मॉनिका

    सुख से रहे।

    याद करने से

    कहीं उसे ठोकर तो नहीं लगेगी!

    ठोकर लगने से

    वह पुनः जाएगी मदुरै,

    दीप जलाकर देवी मीनाक्षी के आगे

    व्याकुल हो कहेगी —हे माते!

    बता दे मुझे, मेरे प्रिय कवि का पता।

    नहीं, भला क्यों याद करूँ उसे?

    जहाँ भी रहे... सुख से रहे।

    एक दिन 'वह किंवदंती बन जाएगी

    रही अगर वह काँची में।

    शताब्दियों बाद

    लोग कहेंग—कभी

    कावेरी-तट पर आती थी

    एक नारी

    आँखों में उदासी लिए

    जो खो चुकी थी

    अपने प्रिय का पता।

    यदि रहेगी साँची में

    बन जाएगी एक भास्कर्य।

    एक दिन खोई हुई गाय ढूँढ़ते समय

    पेड़ों के झुरमुट से ढूँढ़ निकालेगा बाँसुरी वाला

    देखेगा वाकई सोचते-सोचते

    पत्थर बन चुकी एक नारी

    जिसके गले में लिपटा है एक साँप।

    मूर्ति देखकर

    कहेंगे इतिहासकार

    मॉनिका एक प्रतीक है

    जिसका अर्थ है—चाहना।

    जहाँ भी रहे

    खुश रहे मॉनिका

    बेटी-बेटे का लालन-पालन कर सुखी रहे

    छाती में दर्द उठे तो

    अपने पति के सीने से माथा टिका

    याद करती रहे कवि को

    अपने प्रिय कवि को

    अपने प्रिय को।

    स्रोत :
    • पुस्तक : भारतीय कविताएँ 1989-90-91 (पृष्ठ 35)
    • संपादक : र. श. केलकर
    • रचनाकार : प्रसन्न कुमार मिश्र
    • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ
    • संस्करण : 1993
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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