Font by Mehr Nastaliq Web

प्लेटफ़ॉर्म पर

pletfaurm par

राजेश जोशी

राजेश जोशी

प्लेटफ़ॉर्म पर

राजेश जोशी

और अधिकराजेश जोशी

    आवारगी के उन दिनों में जब देर रात लौटने पर

    बंद हो जाते थे घरों के दरवाज़े

    गुज़ारी हमने कई-कई रातें प्लेटफ़ॉर्म पर चहलक़दमी करते हुए

    देर रात जब सुनसान होते जाते हैं प्लेटफ़ॉर्म और

    बहुत कम गुज़रती हैं रेलगाड़ियाँ

    दूर आसमान में टहलता रहता है बाँका चाँद!

    ख़ाली पटरियों पर बीच-बीच में शंटिंग करते रहते हैं इंजन

    ठंडी होती रात के सन्नाटे में गूँजती है

    इंजन की तेज़ सीटी और पहियों का संगीत

    ऊँघते हुए चाय वाले, टिकिट कलेक्टर, इंजन ड्राइवर, गार्ड और

    पटरियों की देखभाल करने वाले मज़दूर हाथ में लालटेनें लिए

    अलग-अलग कोनों में खड़े बतियाते हैं

    उनकी फुसफुसाहटों और इक्का-दुक्का यात्रियों के बीच

    उस छोटे से स्टेशन पर मटरगश्ती करते

    गुज़ारीं हमने कई-कई रातें

    हर दिन लंबी होती सड़कों और बड़े होते शहरों में अब

    कम होता जा रहा है चलन किसी को

    लेने आने या छोड़ने जाने का

    अब तो पूरी शिद्दत से कोई लड़ता भी नहीं

    बहुत ख़ामोशी से चलती है ठंडी कटुता की

    दुधारी छुरी

    उदासी बढ़ रही है क़स्बों में और शहरों में उदासीनता

    आवारगी करते और व्यर्थ भटकते प्लेटफ़ॉर्म पर

    हर आती जाती ट्रेन की खिड़कियों से झाँकते लोगों को

    हिलाए हमने हाथ

    दूर तक तलाशे होंगे उन लोगों ने

    हमारे अपरिचित चेहरों में

    चेहरे अपने स्वजनों के

    दिनों दिन ठंडी होती जाती मन में बची आँच ने

    कुछ पल को कुरेदा होगा ज़रूर

    कुछ लोगों का मन।

    स्रोत :
    • पुस्तक : प्रतिनिधि कविताएँ (पृष्ठ 72)
    • रचनाकार : राजेश जोशी
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 2015

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए