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पिता के लिए

pita ke liye

पूनम सोनछात्रा

पूनम सोनछात्रा

पिता के लिए

पूनम सोनछात्रा

और अधिकपूनम सोनछात्रा

    चाहती हूँ

    उस भाषा में तुम्हारा धन्यवाद करूँ

    जिस भाषा में तुमने मुझे पाल-पोसकर बड़ा किया है

    जिस भाषा में

    तुमने मुझे सिखाया कि

    डरना स्वयं के प्रति की गई सबसे बड़ी हिंसा है

    और सपने देखना

    स्वयं से प्रेम करने का सबसे बड़ा प्रमाण

    वह भाषा

    जिसमें पिता,

    माँ बन जाते हैं और

    उनसे कही जा सकती हैं

    पहले प्रेम से लेकर

    पहली माहवारी तक की सारी बातें

    जिनसे सीखी जा सकती है

    आलू की सबसे स्वादिष्ट तरकारी बनाना

    और उसे वक़्त रहते पानी मिलाकर बढ़ाना

    ताकि सुबह नाश्ते में रोटी

    और दुपहर के खाने में चावल

    दोनों उसके साथ खाए जा सके

    मैं उस भाषा में तुम्हारे सम्मुख होना चाहती हूँ

    जिसमें महीने की पहली तारीख़ पर

    घर में आए समोसों और बालूशाही की महक है

    और महीने के आख़िरी दिनों में

    फेरीवाले से उधार पर ली गई

    मटर की पतली दाल-सी तरलता

    चाहती हूँ

    उस भाषा में तुमसे प्यार करूँ

    जिसमें एक खटारा साइकिल

    मुझे पीछे बिठाकर मीलों की दूरियाँ

    तय किया करती है

    वह भाषा

    जिसमें एक कमरे के मकान में

    टपकती छत के नीचे भी

    परिवार उदास तो होता है

    लेकिन हताश नहीं होता

    वह भाषा

    जिसमें इतनी हिम्मत और इतनी उदारता है कि

    बेटी की मनपसंद क़लम ख़रीदने के लिए

    जेब के आख़िरी बीस रुपए भी ख़र्च कर सके

    मैं उस भाषा में तुमसे संवाद करना चाहती हूँ

    जिसमें मेरी बेटी

    तुमसे बातें करते हुए

    किसी नन्हीं गौरैया-सी चहकती है

    और बार-बार तुम्हारे गले लग जाती है

    मैं वह भाषा ढूँढ़ रही हूँ

    जिसे लक्ष्य की अपेक्षा

    उस तक पहुँचाने वाले सुंदर मार्ग से अधिक प्रेम है

    जो मनुष्य को मनुष्यता देती है

    जो सफलता के नए प्रतिमान गढ़ती है

    वह भाषा

    जो एक आम इंसान को

    संसार का सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति बनाती है

    पिता बनाती है

    मुझे वह भाषा चाहिए मेरे पिता

    जिसमें मैं

    तुम्हारे जैसी बन सकूँ

    स्रोत :
    • रचनाकार : पूनम सोनछात्रा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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