पिता के होने से स्वयं पिता होने तक
pita ke hone se svayan pita hone tak
अपूर्वा श्रीवास्तव
Apurwa Srivastava
पिता के होने से स्वयं पिता होने तक
pita ke hone se svayan pita hone tak
Apurwa Srivastava
अपूर्वा श्रीवास्तव
और अधिकअपूर्वा श्रीवास्तव
पिता नहीं चाहता
पिता की परिभाषा में सही-सही बैठना
वह भागता है
बहुत दूर अकेला
और लौट जाता है
पिता होने के स्थान पर
उसे मालूम है पिता न होने का दुःख
मैंने देखा है
पिता को पिता के लिए बिलखते
पिता की चीख़ में मौजूद हैं सारे तत्त्व
पर उनके पिता के शब्दकोश में
धुँधले हुए सब शब्दों में
सबसे अधिक धुँधला चुका है शब्द—
लौटना
अंत की ओर जाते हुए बाबा
छोड़ गए अपना पितृत्व
पिता के भीतर
पिता भी छोड़ जाएँगे मेरे भीतर
इस भूगोल से
उस भूगोल तक
पिता के होने से
स्वयं पिता होने तक
नहीं बच सकेगा
सबके हिस्से का पितृत्व
नहीं बच सकेंगे पिता।
- रचनाकार : अपूर्वा श्रीवास्तव
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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