पैसे से
गर्मी बदल सकती है ठंड में
पूस बन सकता है जेठ
जंगल बन सकते हैं शहर
और मध्यान्ह
कहे जा सकते हैं
रात के चारों पहर
पैसे से—
क्वार की धूप में
सुखाए जा सकते हैं मज़दूर
माघ की रात में
पटवाए जा सकते हैं खेत
और
ओद पत्तियों को चूल्हे में झोंककर
पकवाए जा सकते हैं
दावतों के लज़ीज़ पकवान और व्यंजन
पैसे से—
हत्या लिखवाई जा सकती है आत्महत्या
दहेज़ को कहा जा सकता है संपन्नता-शुल्क
भेड़ियों को दुधारू पशु बताया जा सकता है
और कामियों को
कहलवाया जा सकता है त्यागी
पैसे से—
नरक को स्वर्ग जैसा दिखलाया जा सकता है
दैत्यों को कहा जा सकता है मसीहा
और जेल नुमा घरों के द्वार पर
किसी सुंदर घर का नाम लिखवाया जा सकता है
पैसे से—
गोलियाँ लिख सकती हैं
सफ़ेद पन्ने पर एक बहुत बड़ा शून्य
मासूम बनाए जा सकते हैं बारूद के गोले
भूख को कहा जा सकता है विद्रोह
और
अधिकार को लिखा जा सकता है अपराध
पैसे से—
कुकर्मों को सत्कर्म बनाया जा सकता है
लूट का उत्सव मनाया जा सकता है
कुर्सी से लात मारकर
फेंके जा सकते हैं योग्य लोग
और
जहर से दूध बनाया जा सकता है
पैसे से—
कामगारों के हाथों से
मामूली दामों पर छीनकर
बाज़ार में हज़ारों में बेंची जा सकती हैं साड़ियाँ
पैसे से—
लोकोपकार के मुखौटे में
छुपाया जा सकता है आदमी का जानवरत्व
चाटुकारों को नायक बनाया जा सकता है
पैसे से—
दंभी और घमंडी राजाओं को
सेवक वाला
जादुई
प्रजातांत्रिक जामा पहनाया जा सकता है॥
- रचनाकार : श्वेतांक कुमार सिंह
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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