एक शिखर पुरुष का आत्मवक्तव्य
मेरे लिए सब कुछ अपने व्यापक वैभव में भी उदासीन है
मेरे जाँ-नशीं मेरी नाउम्मीदियों को ख़ारिज करते रहते हैं
जबकि उम्मीदें उनसे भी उतनी ही दूर हैं
वे उम्र के साथ सब कुछ सीख लेने के भ्रम में हैं
यह आवारगी उन पर जँचती है
और मेरे ज़ख़्म मुझ पर
सारे दर्द बेहद सलीक़े से रहते हैं मेरे साथ
मैं मृत्यु पर सबसे कम सोचता हूँ
मेरे आस-पास जीवित बने रहने के लिए
वाजिब वजहें और योजनाएँ मौजूद हैं
मेरे ख़ब्त ने मेरे बाल जल्द ही दूधिया कर दिए हैं
लेकिन सारी धुनें अब भी अपनी जगह स्थिर हैं
बीती हुई प्रेमिकाएँ मेरी झुर्रियाँ सहलाती हैं
मैं अडिग रहता हूँ एक पूर्वग्रह पर
मेरे बाद अगर तुम मुझे पढ़ना
तब इस तथ्य पर ग़ौर मत करना
कि कई गोरखधंधों में मैं भी शामिल था।
- रचनाकार : अविनाश मिश्र
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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