Font by Mehr Nastaliq Web

प्रेमलक्ष्य

premlakshya

धीरेन्द्र प्रेमर्षि

और अधिकधीरेन्द्र प्रेमर्षि

    भाइ रे, एमकी जतरा निम्मन छै

    देखही सालक पहिलहि दिनमे, रोटीपर आइ तिम्मन छै

    निसफिकरी भऽ खटलि बहुरियो, एमकी चौरी-चाँचरमे

    कोनो गिरहतबा हाथ ने देलकै, ओइ लजबिज्जीक आँचरमे

    चिल्हका मूहसँ छीनल दूधक, गहबरमे ने टघार भेलै

    बहु-बेटीके इज्जति मीता, कतहु ने देख उघार भेलै

    भोरे नन्हकू इसकुल गेलै, जलखै कऽ बस्ता लेने

    कएल काजके बोनि जे पेलकै, धुथरो आइ बिनु खेखिएने

    सबके भेटलै सुपत मजुरी, एमकीके बोनिहारीमे

    ककरो सपना उधिएलै नै, हौ भोटक पैकारीमे

    कोनो मजूरक एमकी भाइ रे, अपटी खेतमे गेलै ने जान

    लाश गनाकऽ कोनो हकिमबा, बनलै नै रौ कतौ महान

    दुख-दलिदरा जते छलै से, टिशनेपर जनु छूटि गेलै

    खुशहालीक जेँ टेन ससरलै, चट्ट दऽ निन्ने टूटि गेलै

    हमहीँटा छली सपनलोकमे, सबकुछ पुरने ठिम्मन छै

    भाइ रे, अखनो कुछ नइ निम्मन छै

    हमरासबके खून-पसेना, ओकरे सँझुका तिम्मन छै

    मुदा भाइ रे आबि गेल अछि हमरो हाथमे अवसर

    एकरे बलपर सजा लेबै हम अप्पन सपनाके नव घर

    आइतलिक जे दर्द पिअलिअइ आब हेतै गऽ तकर निदान

    सपनेसन खुशहाली पाबऽ चल लिखबाबी अपन विधान

    स्रोत :
    • पुस्तक : ई-मिथिला
    • संपादक : बालमुकुन्द
    • रचनाकार : धीरेन्द्र प्रेमर्षि
    • संस्करण : 2025

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY