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नटखट दिवाकर

natkhat divakar

मालती देवी

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नटखट दिवाकर

मालती देवी

और अधिकमालती देवी

    नोट

    प्रस्तुत पाठ एनसीईआरटी की कक्षा दूसरी के पाठ्यक्रम में शामिल है।

    दिवाकर पाँच वर्ष का नटखट लड़का है। सारे दिन ठिठोली करता है और सबको हँसाता है।

    उसे गणित सीखने की बहुत लगन है। उसकी बड़ी बहिन मीना उसे संख्याओं को जोड़ना सिखाती है और दिवाकर ध्यान से सीखता है।

    दिवाकर कहता है, “एक और दो, तीन!” मीना कहती है, “सपेरा बजाता बीन!” दिवाकर कहता है, “तीन और चार, सात!” मीना कहती है, “लाओ क़लम दवात!”

    दिवाकर दौड़कर क़लम दवात ले आता है और मीना उसे संख्याओं के जोड़ लिखना सिखाती है।

    1+2=3

    3+4=7

    आज इतवार का दिन है। दादाजी ने आज कुल्फ़ी बनाने के लिए बहुत सारा दूध मँगाया था। दादी ने सबेरे 9 बजे कढ़ाई में दूध उबालने के लिए रख दिया। दूध को कभी माँ और कभी चाचाजी थोड़ी-थोड़ी देर में चमचे से चलाते रहे।

    10 बजे तक दूध गाढ़ा हो गया और माँ ने उसे ठंडा होने के लिए रख दिया। दिवाकर बड़ी उत्सुकता से सब देख रहा था।

    11 बजे चाचाजी बाज़ार से बर्फ़ ले आए और उसे कूटकर मटके में भर दिया। उसमें नमक भी मिला दिया। दादी और माँ ने गाढ़े दूध में चीनी, केसर तथा पिस्ते और बदाम काटकर डाले। फिर कुल्फ़ी के तिकोनों में दूध भरकर मटके में डाल दिए।

    तब तक 1 बज गया था। दिवाकर ने दादाजी से पूछा, “दादाजी, कुल्फ़ी कब तक बनेगी?” दादाजी ने कहा, “बेटा, 5 बजे तक बनेगी।”

    दिवाकर मीना के साथ खेलने चला गया। कुछ देर बाद दिवाकर ने दादाजी के पास जाकर पूछा, “दादाजी, क्या बजा है?” दादाजी ने अपने कमरे में लगे घंटे की ओर देखकर कहा, “बेटा, 2 बजे हैं।” दिवाकर बेचैनी से 5 बजने की प्रतीक्षा करता रहा।

    कुछ समय बाद वह फिर दादाजी के पास गया और पूछा, “दादाजी, अब क्या बजा है?” दादाजी ने फिर घंटे की ओर देखा और बोले, “बेटा, 3 बजे हैं।”

    दिवाकर ने भोलेपन से ख़ुश होकर कहा, “दादाजी, 2 और 3, 5 होते हैं तो अब 5 बज गए। इसलिए कुल्फ़ी खा सकते हैं!”

    दादाजी हँस पड़े। उन्हें दिवाकर की कुशाग्र बुद्धि पर बहुत आनंद आया।

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    मालती देवी

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    स्रोत :
    • पुस्तक : सारंगी (पृष्ठ 25)
    • रचनाकार : मालती देवी
    • प्रकाशन : एनसीईआरटी
    • संस्करण : 2022
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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