Font by Mehr Nastaliq Web

नाटक में नाटक

natk mein natk

अतुलवीर अरोड़ा

अतुलवीर अरोड़ा

नाटक में नाटक

अतुलवीर अरोड़ा

और अधिकअतुलवीर अरोड़ा

    वह एक आत्मीय था पूर्वज

    मेरा

    जिसे दूसरे किसी पूर्वज

    आत्मीय ने

    गोली से मारा

    एक और है

    जो अक्सर कहा करता है

    इतिहास की दहलीज़ पर खड़ा होकर

    दनदनाता बोलता हुआ

    नाटक करो, नाटक!

    हिंद स्वराज का नाटक करो!

    हो तो रहा है, मैंने उससे कहा

    मेरे वर्तमान में!

    एक गोली किसी ने मेरे सीने में भी उतार दी!

    उतर तो गई वह

    लेकिन भीतर घूमती रही!

    एक दिन थक कर

    दिमाग़ की किसी एक

    नस में जाकर

    छिप कर बैठ गई!

    अब वह वहीं बैठी है!

    डॉक्टर लोग हैरान हैं कि मैं मरता क्यों नहीं?

    उनके चाक़ू

    रोज़ चलते हैं

    शल्य-क्रिया जारी है

    मेरी ही नहीं पूरे वर्तमान की भी!

    बड़े-बड़े सांसद

    छोटे-बड़े विधायक

    औद्योगिक घराने

    पूँजीपति, वकील,

    रेलवे का अमला

    इंजीनियर गए पगला!

    मशीनें ठप्प!

    यातायात गड्प्प!

    नगरपालिकाएँ न्यायालय सर्वोच्च तक

    सदमे में हैं!

    ख़बर बिल्कुल सही है!

    सोलह आने खरी है!

    आदमी ही है कि जिस पर गोली चली है!

    गोली चली है!

    गोली क़ायम है!

    क़ातिल ज़िंदा है!

    कोई मरा नहीं!

    गोली का क्या करें?

    शनाख़्त के आदेश जारी हैं

    कारख़ानों में तफ़्तीश चल रही है...

    विस्फोटक कहाँ से रहे हैं?

    बारूद के विश्वविद्यालय तक संकट में हैं

    जहाँ ऐसी गोलियाँ बनाने की शिक्षाएँ चल रही हैं

    जो चलाने वालों के दिमाग़ की उपज होती हैं

    और जिस किसी दिलो-दिमाग़ में से होकर गुज़रती हैं

    गुरिल्लाओं की तरह वहाँ

    छिपकर बैठ जाती हैं

    आदमी मरता है

    ज़िंदा रहता है

    जैसे ख़ुद हिंद स्वराज बन जाता है!

    कहते हैं वे जो सहते भी हैं

    एक कोई देश कभी हुआ करता था

    हमारी इसी पृथ्वी पर

    दूसरे किसी देश ने जिसे

    पूँजी से मारा था!

    यह उसी का नाटक है जो चल रहा है

    उसी का एक संवाद है

    जो आपके सामने है :

    “हिंद स्वराज का नाटक बंद करो!”

    “हो तो रहा है!'' अभिनेता की आवाज़ है,

    “जब तक बत्ती गुल रहती है, नाटक चलता है

    बत्ती आते ही नाटक बंद हो जाता है!”

    पूँजी ने पलटा खाया

    और पूरी शताब्दी अँधेरे की मज़बूत गिरफ़्त में थी

    हम सोच रहे थे

    हिंद स्वराज उजाले में होगा

    नाटक में देखा,

    वह अँधेरे में भी ग़ायब था!

    स्रोत :
    • रचनाकार : अतुलवीर अरोड़ा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए