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नसीहत से भरा दिन

nasihat se bhara din

नीलेश रघुवंशी

नीलेश रघुवंशी

नसीहत से भरा दिन

नीलेश रघुवंशी

और अधिकनीलेश रघुवंशी

    कहते हैं ढलान पर घूमना ठीक नहीं है इस समय

    अब भोपाल में कहाँ तक बचती फिरूँ उतार-चढ़ाव से

    पहाड़ों पर रहने वाली स्त्रियाँ क्या करती होंगी ऐसे समय

    हर कोई नसीहत पे नसीहत, सब के सब डॉक्टर के बाप बने हुए हैं

    जब तुम हरकत करते हो तब लगता है कोई पत्ता भी खड़के

    तुम्हारा चलना-फिरना महसूस करूँ चुपचाप

    बहुत धीरे से पेट पर हाथ रखती हूँ, ज़ोर तो नहीं पड़ता

    क्या तुम कभी उबासी भी लेते हो?

    ऐसा लगता है—

    जैसे कभी तुम सो रहे हो, कभी करवटें बदल रहे हो

    धीरे-धीरे मेरा धैर्य ख़त्म होता जा रहा है

    अभी तो दो महीने और कुछ दिन शेष हैं

    अब समझ आया, किसे कहते हैं धीरज

    घबराओ नहीं, धीरज नाम नहीं रखूँगी तुम्हारा।

    स्रोत :
    • रचनाकार : नीलेश रघुवंशी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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