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धर्म बलात्कार का

dharm balatkar ka

ऋतेश कुमार

ऋतेश कुमार

धर्म बलात्कार का

ऋतेश कुमार

और अधिकऋतेश कुमार

    वह धरती की सबसे सुंदर स्त्री थी

    धरती का सबसे बलशाली पुरुष था उसका पति

    जिसने चुनौती दे दी थी जगत प्रभुओं को

    स्वयंप्रभु ने तब

    धरती की सबसे सुंदर स्त्री का किया बलात्कार

    ताकि मान रहित हीनमनस्क हो जाए समर्थ पुरुष

    गया वह मारा युद्ध में सहजता से फिर

    कथा सुनाई गई

    उस स्त्री के सतीत्व से अमर था उसका पति

    जीत लेना चाहता था स्वर्ग

    (और स्वर्ग तो है केवल देवताओं के लिए)

    परमेश्वर ने इसलिए

    शील भंग किया उस नारी का

    कि देवता विजयी हों युद्ध में

    सती की महिमा गाते लोगों ने

    बनाए नियम

    तुलसी चढ़ाई जाएँ जगदीश को हर बार उनके पूजन में

    एक बलात्कारी की पूजा बेहतर यही हो सकती है

    कि उसने जिसका किया हो शिकार

    उसे ही किया जाए अर्पित उस पर बार-बार

    कथाएँ हैं धर्म की

    धर्म की कथाओं को सुनते हम नहीं पूछते प्रश्न

    हमने मान लिया कि

    धृतराष्ट्र की माता ने संसर्ग के समय बंद कर ली थीं

    अपनी आँखें और दृष्टिविहीन हो गया धृतराष्ट्र

    पांडु की माता का रंग पड़ गया था पीला

    पीले हो गए पांडु

    हमने टोका नहीं कथा-वाचक को

    कि महात्मन सहज संबंधों में स्त्री की देह का रंग पीला तो नहीं पड़ता

    चरम सुख के बोध से आँखें बंद कर ले वह

    किंतु भय से आँखें बंद किए रही

    तो क्या ऋषि व्यास ने ज़बरदस्ती की थी

    बंद आँखें पीली काया देख कर भी ऋषि ने कैसे बनाया संबंध

    क्या उनकी स्वयं की आँखें बंद थीं?

    प्रश्न फिर उठेगा उनके पिता पर भी

    परम ऋषि नदी पार कराती उस मत्स्य कन्या को देख

    आपकी धोती ढीली हो गई थी कैसे

    उसके शरीर में बसे मत्स्य गंध को दूर करने का नुस्ख़ा

    आपने दुष्कर्म के बाद बताया उसके आँसुओं को देख

    या उसको दिया लालच पहले ही

    यों भी बीच नदी उस नाव पर उसे बचाने आता था कौन

    बलात्कार इतनी ख़ूबसूरत कथाओं में

    इतनी सहजता से होता रहा है बयाँ कि

    वह छोटी-सी बात हो गई

    इतनी छोटी कि

    देश का एक बड़ा नेता आराम से कह सके

    कि लड़के हैं लड़कों से भूल हो जाया करती है

    और हमारा क्या है

    नाक कट जाने का अर्थ

    इज़्ज़त चला जाना जानते हैं

    पर मानते हैं

    कि सचमुच की नाक ही कटी थी

    और उतने पर ही रावण ने कर दिया वबाल

    हमने मान लिया

    रावण बुरा होता है

    लक्ष्मण नहीं

    ओम धर्माय नमः

    स्रोत :
    • रचनाकार : ऋतेश कुमार
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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