Font by Mehr Nastaliq Web

यथार्थ के बारे में

yatharth ke bare mein

पंकज सिंह

पंकज सिंह

यथार्थ के बारे में

पंकज सिंह

और अधिकपंकज सिंह

    जो दीखा ख़ूब उजागर सबके लिए, कितना मुझको?

    मुश्किल हुई कि सवि ने पूछा उसी के बारे में, तो कहा मैंने,

    लो, अभी देखकर बताता हूँ

    प्रकाश और धुँधलके के कितने परदों

    कितने रहस्यों में लिपटा होता है यथार्थ

    कई तरह से देखना होता है कुछ कहने से पहले

    दिखता है, ग़ौर से देखो, कि उसका कोई हिस्सा

    धुएँ में धूल में अँधेरे में हाहाकार में

    भाषा के छल में जयकार में

    बाज़ार की तकरार में छिपा रह जाता है

    सुनाई देती है कोई फड़फड़ाहट

    जब सूरज ढलने के क़रीब होता है, सवि

    काँपती हैं चाय में शक्कर हिलाती उँगलियाँ

    यह कोई सपना है उड़ान से पहले तुम्हारे भीतर कि मेरे

    या कोई ज़ख़्मी चिड़िया अपनी पीड़ा के सुनसान में

    साफ़ आँखों देख पाने मानवीय बने रहने के लिए

    अब ज़रूरी है लगभग अड़ने की आदत

    कोई वृत्तांत संभव होगा बिना जोखिम उठाए

    साफ़ शब्दों में बताना होगा बिना लाग-लपेट

    अमूर्तन की शातिराना तरकीबों के बारे में

    जिन्हें वह नहीं जानती

    नुक्कड़ तक जाती सहमी-सी स्त्री

    अचानक चाँद पर पहुँच जाती है जो

    रौंदी हुई देह में जीवित करती है

    किसी अर्द्धविस्मृत प्रेम के स्पर्श

    झुकती है ख़ुद पर हरी-भरी डाल-सी

    उन पलों में वह अपनी धरती होती है ख़ुद अपना आकाश

    उसका कोई अनुच्चरित विचार देर तक गूँजता है अंतरिक्ष में

    सुनता हूँ प्रमुदित मैं उस सुंदर पर ओझल को

    देखता हूँ बहुतेरे दृश्य घटनास्थितियाँ

    जिनकी बनावट में पिघलती हुई चीज़ें

    बनती हैं अनायास रचे जाने को मेरा जटिल यथार्थ

    इस क्रूर समय में

    इस क्रूर समय में बर्बरता के सम्मुख

    मैंने तय किया है, सवि, महज़ शिकायत नहीं करूँगा

    लड़ूँगा

    माथा ऊँचा किए रहूँगा आख़िरी वार तक

    बीच में रोना सुनाई दे कभी तो ज़्यादा कान देना

    जब तक टूटने-तड़पने की आवाज़ें बेहद तेज़ हो जाएँ

    ठीक से समझ लेने की बात यह है, सवि

    कि मुमकिन चीज़ों की सूची में

    मारे जाने की आशंका को काफ़ी ऊपर रखना होगा

    फिर क्यों अलस हम भूलते जाते हैं

    कारआमद सच, वास्तविक आकार, रंग और आवाज़ें

    उनकी पुकार को अनसुना करते

    उन्हें धूल में मिलने देते हैं, यों धूल होते हुए।

    स्रोत :
    • रचनाकार : पंकज सिंह
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए