मुझे वह स्त्री पसंद नहीं
जिसकी जीभ लटपटाती है पुरुषों से बात करने में
जिसका कलेजा काँपता है उनकी मार के डर से
जो झुककर उठाती है उनके जूते
पहनाती है उन्हें समर्थ समझकर
जो सोती है उनके साथ किसी फ़ायदे के लिए
मुझे वह स्त्री पसंद है जो कहती है अपनी बात साफ़-साफ़
बेझिझक जितना कहना है बस उतना
निर्भीक जो करती है अपने काम
नहीं डरती सोचती हुई आत्मनिर्भरता पर अपने
हटाती नहीं जो वे आख़िरी पर्दे
जिन्हें आत्मा बचाए रखना चाहती है देह के लिए
मुझे वह स्त्री पसंद है
समझती हुई सारे घात-प्रतिघात जो
ख़तरे सारे जीवन के
ख़ुद से प्रेम करती है
और संसार के हर प्राणी से सहानुभूति रखती है
- पुस्तक : नींद थी और रात थी (पृष्ठ 56)
- रचनाकार : सविता सिंह
- प्रकाशन : राधाकृष्ण प्रकाशन
- संस्करण : 2005
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