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मुझे सही जगहों पर तलाशना

mujhe sahi jaghon par talashna

गौरव सिंह

गौरव सिंह

मुझे सही जगहों पर तलाशना

गौरव सिंह

और अधिकगौरव सिंह

    मेरी खोज में निकले लोगों ने

    हमेशा मुझे ग़लत जगहों पर खोजा

    मैं दुर्घटनाबहुल जगहों पर तलाशा गया

    जबकि मैं क्यारी में फूल बनकर खिल रहा था

    जब मुझे राजमहलों में खोजा जा रहा था

    तब मैं किसी तहख़ाने की दीवार में चुना जा चुका था

    वे मुझे किसी चौराहे की भीड़ में खोज रहे थे

    मैं पगडंडी के किनारे कुएँ की पाट पर लेटा हुआ था

    उन्होंने कुटिल मुस्कानों और अट्टहासों के बीच तलाशा

    और मैं झाँ… झाँ… करके खेलते बच्चों की हँसी में गुम रहा

    मैं जानता हूँ...

    आने वाले वक़्त में

    जब ये लोग मुझे किताब के पन्नों में खोजेंगे

    किताब पर जमी धूल की ओर उनका ध्यान नहीं जाएगा

    वो कविता के शब्दों में मेरी उपस्थिति के छीटें तलाशेंगे

    शब्दों के बीच की अश्रव्य पीड़ा उनसे अनदेखी छूट जाएगी

    हाथ में तस्वीर लिए कुछ लोग राहगीरों से मेरे बारे में पूछेंगे

    सड़क के दूसरी ओर काम करते मेहतरों की ओर उनका ध्यान नहीं जाएगा...

    दुनिया की

    तमाम खोजों के इतिहास

    मिलने के अभिलिखित वृत्तांत

    और सभी कोलंबसों के अनुभवी बयानात…

    मुझे तुमसे ये कहने पर विवश कर रहे हैं—

    मुझे सही जगहों पर तलाशना…!

    स्रोत :
    • रचनाकार : गौरव सिंह
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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