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शोषितों की युद्ध-यात्रा

shoshiton ki yudh yatra

अनुवाद : वै. वेंकटरमण राव

सोमसुंदर

सोमसुंदर

शोषितों की युद्ध-यात्रा

सोमसुंदर

और अधिकसोमसुंदर

    राक्षसों के राज्य में

    ख़ून बहाए बंदियों के और

    जान खोए क़ैदियों के वारिसों के

    चैतन्य प्रवाह में

    जीवन पल्लवित हुए क्या?

    शिकारी क्रूरों के गुलाबों में

    प्राण प्रवहित हुए क्या?

    ग़ुलामसब एक हो

    मानव बन खड़े हैं!

    ग़ुलाम सब एक हो

    योद्धा बन बढ़े हैं!

    ग़ुलाम सब एक हो

    अस्त्र-शस्त्र धरे हैं!

    ग़ुलाम सब एक हो

    बाँध तोड़ रखे हैं!

    बंदी अरु ग़ुलाम सब

    एक स्वर गरजे हैं!

    धोखे, जाल षड्यंत्र

    हमारे गलों को बाँध नहीं सकते

    हमारे हाथों की साँकल

    हिम-कण बन गिर जाएँगी”

    प्रगाढ़ निद्रा से ग्रसित सिंह

    आज अयाल झटक कर जगे हैं

    अशनिपात सदृश, बड़वानल-सा

    व्यापत झंझानिल सदृश, विस्तृत विपत्ति-सा

    दानव दुर्गों को पार कर रहा है अहो!

    प्रजा वीरों के समान!... योद्धा समूह!

    साधारण ग़ुलाम ही

    शिक्षित सैनिक हो

    क्षण में ही मेरु बन

    विश्व में बसेंगे!

    साधारण मानव ही

    शिक्षित सैनिक बन

    विलय विस्फुलिंग बन

    जगत् में ज्वलित होंगे!

    बाँस... तलवार...

    परेड... चढ़ाई…

    साधारण ग़ुलाम ही

    साहसी बन गरजे हैं!

    समस्त शत्रु व्यूहों को

    पहली बार में ही भग्न कर

    हराते आगे बढ़ेंगे

    शक्ति बटोर क़दम बढ़ाएँगे!

    निरायुध भाई सब

    निरपराधी मानव सब

    अंधकार में अंधकार बन

    रहेंगे!

    अंधकार में लाल भूत हो

    दानव-वनों

    धराशायी करेंगे!

    समरभूमि के

    विजय-विलास-सी वनिताएँ!

    प्रत्यंचित धनु-सी वनिताएँ!

    राक्षसों के लिए प्रलयकाल कालिकाएँ बन

    विचरेंगी माताएँ!

    युद्ध... युद्ध... युद्ध

    वीभत्स रण गर्जन!

    प्रलयकाल झंझानिल

    घात वृक्ष समूह!

    टीलों के टीले

    धराशायी होंगे ये पाषाण!

    भविष्यत् के स्वरूपों का

    इतिहास-गीत लेखन कर रही है

    विश्ववाणी के गले में

    नया स्वर आलापित हो रहा है...

    यह यज्ञ फलित होगा

    राक्षस संहारोत्सव

    महाऋतु फलित होगा

    सब प्रयत्न फलेंगे

    डाकू पिशाचों का

    नाश होगा, नाश होगा

    यह तेलुगुमाता सुखी होगी

    यह यज्ञ फलित होगा

    “इस तेलुगुमाता का सुनहला प्रसव

    नई फ़सल धारण करेगा

    नव-जीवन कुसुमित होगा

    यह यज्ञ फलित होगा।”

    स्रोत :
    • पुस्तक : शब्द से शताब्दी तक (पृष्ठ 82)
    • संपादक : माधवराव
    • रचनाकार : सोमसुंदर
    • प्रकाशन : आंध्र प्रदेश हिंदी अकादमी
    • संस्करण : 1985
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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