वे गले में सोने की मोटी जंज़ीर पहनते हैं
कमर में चौड़ी बेल्ट लगाते हैं
और मोबाइलों पर बात करते हैं
वे एक आधे अँधेरे और आधे उजले रेस्तराँ में घुसते हैं
और खाने और पीने का ऑर्डर देते हैं
वे आपस में जाम टकराते हैं
और मोबाइलों पर बात करते हैं
उनके मोबाइलों का रंग काला है या आबनूसी
चाँदी जैसा या रहस्यमय नीला
उनके आकार पतले छरहरे या सुडौल आकर्षक
वे अपने नए मोबाइलों को अपनी नई प्रेमिकाओं की तरह देखते हैं
और उन पर बात करते हैं
वे एक-दूसरे के मोबाइल हाथ में लेकर खेलते हैं
और उनकी विशेषताओं का वर्णन करते हैं
वे एक अँधेरे-उजले रेस्तराँ में घुसते हैं
और ज़्यादा खाने और ज़्यादा पीने का ऑर्डर देते हैं
वे धरती का एक टुकड़ा ख़रीदने का ऑर्डर देते हैं
वे जंगल पहाड़ नदी पेड़
और उनमें दबे खनिज को ख़रीदने का ऑर्डर देते हैं
और मोबाइलों पर बात करते हैं
वे पता करते रहते हैं
कहाँ कितना खा और पी सकते हैं
कहाँ कितनी संपत्ति बना सकते हैं
वे पता करते रहते हैं
धरती कहाँ पर सस्ती है खाना-पीना कहाँ पर महँगा है
वे फिर से एक अँधेरे-उजले रेस्तराँ में बैठते हैं
और सस्ती धरती और महँगे खाने-पीने का ऑर्डर देते हैं
और मोबाइलों पर बात करते हैं
वे फिर से अपनी जंज़ीरें ठीक करते हैं बेल्ट कसते हैं
वे अपने मोबाइलों को अपने हथियारों की तरह उठाते हैं
और फिर से कुछ ख़रीदने का आर्डर देने चल देते हैं।
- रचनाकार : मंगलेश डबराल
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.