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मेरी तरफ़ भी देखो

meri taraf bhi dekho

संजय चतुर्वेदी

संजय चतुर्वेदी

मेरी तरफ़ भी देखो

संजय चतुर्वेदी

और अधिकसंजय चतुर्वेदी

    मरने के बाद

    मेरी अस्थियाँ गंगा में विसर्जित कर देना

    और राख थोड़ी बिखरा देना

    हवाई जहाज़ से हिमालय की चोटियों पर

    और थोड़ी कन्याकुमारी के महासंगम में

    और किसी को हक़ नहीं देश से इतना प्यार करने का

    थोड़ी-सी भस्म एक हंडिया में भर

    गाड़ देना मेरी समाधि में

    लोग देखने आएँ मेरे अजायबघर

    सौ दो सौ एकड़ ज़मीन ज़ुरूर घेर लेना

    सबसे शानदार जगहों पर

    और मेरे जन्मदिन पर छातियाँ भी पीटना

    एक और बात जो दिलचस्प हो सकती है

    बच्चों से मुझे कभी कोई लगाव नहीं रहा

    लेकिन इसी बहाने अगर उनकी छातियों पर मूँग दली जाए तो चलेगा

    हालाँकि मेरे कोई पुत्री नहीं थी

    वरना मैं उसके नाम

    चार-पाँच किलो चिट्ठियाँ भी छोड़ ही जाता

    मैं दिन में एक सौ बयालीस घंटे काम करता था

    और उनसे नफ़रत करता रहूँगा

    जो इससे कम कर पाते हैं

    जीवन में सभी विषयों पर पढ़ा, सोचा और लिखा

    और कुछ छूट जाए इसलिए

    तैंतालीस में जब मुझे फ़्लू हुआ

    मैंने दूरअंदेशी दिखाते हुए

    एड्स वैक्सीन पर एक लेख लिखा

    अब मिल नहीं रहा

    उसे दुबारा लिखकर छपवा देना

    और अगर फिर भी ख़ून बचा हो

    आने वाली नस्ल में

    तो मैं अपनी प्रिय मेज़ की दराज़ में

    एक पांडुलिपि छोड़े जा रहा हूँ।

    स्रोत :
    • रचनाकार : संजय चतुर्वेदी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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