मेरी माँ का इतिहास
meri man ka itihas
एक
मेरी माँ बताती है कि
मेरे पूर्वज डाँगर खाते थे
और बड़ी जातियों के विवाह में बचा बासी भोजन
माँ ने बताया कि
हमारे रिश्तेदारों के घर
या तो दक्षिण में थे या उत्तर में
आज भी उनके घर कमोबेश उसी दिशा में होते हैं
मेरा भी घर गाँव के दक्खिन ही है।
दो
पता पूछने पर
न चाहते हुए भी लोग जान जाते हैं हमारी जाति
हमसे पहले पहुँच जाती है हमारी जाति
उनके गाँवों में।
तीन
चुटकी-चुटकी धान रोपते-रोपते
उनको याद है ‘बड़े’ लोगों के
खेतों के नाप
उन्हें याद है कि
खेतों की नाप के हिसाब से
उनकी मज़दूरी बेहद कम थी।
चार
हमने माँ से पूछा था
उसके प्रेम के बारे में
जवाब में उसने कहा :
सामने के प्राथमिक विद्यालय का मास्टर दिखाता था :
सौ का नोट।
पाँच
मेरी माँ कभी
लोकगीत नहीं गाती थी
न ही फ़िल्मी गीत
वह एक गुण में निपुण थी
देती थी गाली धड़ल्ले से।
छह
माँ की शादी हुई जब वह छोटी थी
उसे शादी का मतलब भी नहीं पता था
उन्हें याद भी नहीं कब हुई शादी
क्योंकि वह सो गई थी
माँ बताती है कि
जब जेठानियाँ आईं गवन कर
उनके पैरों में न तो चप्पल थी
न ही शरीर पर ब्लाउज़।
- रचनाकार : सुनीता
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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