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मेरी कविताएँ

meri kavitayen

अमित तिवारी

अमित तिवारी

मेरी कविताएँ

अमित तिवारी

और अधिकअमित तिवारी

    मैं गाई जाने वाली कविताएँ नहीं लिख सका

    सब संगीत पीछे छूट चुका था

    पेड़ों के खोखले तने, खँखारती हुई पत्तियाँ छूट चुकी थीं

    जानवर छूट गए थे और डर नहीं छूट रहा था

    छोटी घंटियाँ सायरन की तरह सुनाई दे रही थीं

    कल्लोल तो नहीं और कोई कलकल भी नहीं थी

    हवा उठती थी और पानी से बा-अदब मिलकर निकल जा रही थी

    लहर का उठना अब एक बदतमीज़ी थी

    झूमने के लिए आस-पास कंधे और गले भी नहीं थे

    मैंने ऐसी कविताएँ लिखीं जो चाक़ू की तरह ध्यान से छुई जाएँ

    उनके घाव से उदास हुआ जाए

    फिर उनको मोड़कर जेब में रख लिया जाए

    और अतृप्य कामनाओं की चिल्ल-पों के बीच

    निज़ामुद्दीन के आस-पास से उठती शहनाई को याद किया जाए।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अमित तिवारी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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