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मेरी दुनिया के तमाम बच्चे

meri duniya ke tamam bachche

अदनान कफ़ील दरवेश

अदनान कफ़ील दरवेश

मेरी दुनिया के तमाम बच्चे

अदनान कफ़ील दरवेश

और अधिकअदनान कफ़ील दरवेश

    वो जमा होंगे एक दिन और खेलेंगे एक साथ मिलकर

    वो साफ़-सुथरी दीवारों पर

    पेंसिल की नोक रगड़ेंगे

    वो कुत्तों से बतियाएँगे

    और बकरियों से

    और हरे टिड्डों से

    और चीटियों से भी...

    वो दौड़ेंगे बेतहाशा

    हवा और धूप की मुसलसल निगरानी में

    और धरती धीरे-धीरे

    और फैलती चली जाएगी

    उनके पैरों के पास...

    देखना!

    वो तुम्हारी टैंकों में बालू भर देंगे एक दिन

    और तुम्हारी बंदूक़ों को

    मिट्टी में गहरा दबा देंगे

    वो सड़कों पर गड्ढे खोदेंगे और पानी भर देंगे

    और पानियों में छपा-छप लोटेंगे...

    वो प्यार करेंगे एक दिन उन सबसे

    जिनसे तुमने उन्हें नफ़रत करना सिखाया है

    वो तुम्हारी दीवारों में

    छेद कर देंगे एक दिन

    और आर-पार देखने की कोशिश करेंगे

    वो सहसा चीख़ेंगे!

    और कहेंगे :

    “देखो! उस पार भी मौसम तो हमारे यहाँ जैसा ही है”

    वो हवा और धूप को अपने गालों के गिर्द

    महसूस करना चाहेंगे

    और तुम उस दिन उन्हें नहीं रोक पाओगे!

    एक दिन तुम्हारे महफ़ूज़ घरों से बच्चे बाहर निकल आएँगे

    और पेड़ों पे घोंसले बनाएँगे

    उन्हें गिलहरियाँ काफ़ी पसंद हैं

    वो उनके साथ ही बड़ा होना चाहेंगे...

    तुम देखोगे जब वो हर चीज़ उलट-पुलट देंगे

    उसे और सुंदर बनाने के लिए...

    एक दिन मेरी दुनिया के तमाम बच्चे

    चींटियों, कीटों

    नदियों, पहाड़ों, समुद्रों

    और तमाम वनस्पतियों के साथ मिलकर धावा बोलेंगे

    और तुम्हारी बनाई हर एक चीज़ को

    खिलौना बना देंगे...

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    अदनान कफ़ील दरवेश

    अदनान कफ़ील दरवेश

    स्रोत :
    • रचनाकार : अदनान कफ़ील दरवेश
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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