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मेरे सपने में गाँव

mere sapne mein gaanv

अनादि सूफ़ी

अनादि सूफ़ी

मेरे सपने में गाँव

अनादि सूफ़ी

और अधिकअनादि सूफ़ी

    (एक)

    आयताकार शहतीर पर

    गोल-गोल घूमते कबूतर की

    मनोदशा क्या होती होगी

    मुहावरों को उसी के अर्थ में जीने वाला व्यक्ति अंततः

    सज़ा का अधिकारी क्यों बनता है

    क्या गाँव में यह

    कनेर के फूल और

    जलेबी के फल लगने का मौसम होगा

    क्या किसी के मरने पर

    सचमुच किसी का दिल टूट जाता है

    क्या पिता के खेत से लौटने में देरी होने पर

    बथान पर खड़ी चरकी गैया रम्भा रही होगी

    मेरे सपने में आजकल

    मिट्टी के बर्तन में रखे

    कच्चे दूध की गंध क्यों उठती है?

    (दो)

    मेरे

    मन में

    एक सपना है

    सपने में एक गाँव है

    गाँव में खपरैल का एक घर

    घर में मिट्टी का आँगन

    आँगन में आम का एक पेड़

    पेड़ पर रस्सी का एक झूला

    झूले पर कातिक-अगहन के गीत

    गीतों में चिड़ियाँ के बच्चे

    बच्चों के मन में उड़ने के सपने...

    मेरे मन में अब गाँव एक सपना है!

    (तीन)

    गाँव नदी की संताने हैं

    पहाड़ उनका गुरू

    जंगल उनके रक्षक

    मैं अभागा सब छोड़ आया

    फिरता हूँ अब अनाथ और निहत्था एक जलते ख़्वाब-गाह में

    मेरे सपनों में अब सिर्फ़ ख़ाक उड़ती है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अनादि सूफ़ी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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