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मेरा इश्क़ और पुख़्ता हो रहा है

mera ishq aur pukhta ho raha hai

आकृति विज्ञा 'अर्पण’

आकृति विज्ञा 'अर्पण’

मेरा इश्क़ और पुख़्ता हो रहा है

आकृति विज्ञा 'अर्पण’

और अधिकआकृति विज्ञा 'अर्पण’

    मेरा इश्क़ और पुख़्ता हो रहा है

    दीवारों से, तनहाई से, ख़ामोशी से।

    इस प्रेम में जब ख़ामोशी चाह दे,

    तो शब्द खनक उठते हैं।

    तनहाई के इशारे पर

    जुटती है एक मीठी-सी भीड़,

    गले लगती वैचारिकी,

    स्पष्ट महसूसी जा सकती है।

    क्राँति के चादर बीनता दिमाग़

    भजन सुनकर सुस्ता लेता है।

    भजन कभी भक्ति के,

    भजन कभी इश्क़िया से।

    मुझ पर पुरखों का पूरा हाथ है

    तभी तो भोलापन मुझे चिढ़ाता नहीं

    वल्कि दे देता है अनेक कारण

    जहाँ मैं मौन होकर मुस्कुरा उठती हूँ।

    किताबों की अनूठी संगत,

    मुझे एक पहलू लेकर

    कभी विफरने नहीं देती।

    मुझमें घर बनाने की जतन में

    पूर्वाग्रह असफल हो चुके हैं।

    गाँवों के चूल्हे की सोंधी महक,

    और शहर की फ़ैक्टरी की दुर्गंध,

    मुझे इतना पागल नहीं करतीं,

    कि मैं कहूँ गाँव शिक्षित हो चुके हैं,

    और शहरो में प्रसन्नता बसती है।

    लेकिन मैं महक लेती हूँ

    शहर में घुटता गाँव

    और गाँव में पनपता शहर

    मैं ढूँढ़ लेती हूँ,

    विलायती कविताओं में लोक

    और लोकगीतों में बिदेश।

    मुझे नहीं आता 

    एक वैचारिक भुनाने के लिए

    कई विचारों का मिथानुवर्तन

    लेकिन मैने सीख लिया है

    विचारों से काम की चीज़ें बीन लेना।

    ख़ुशी मुझमें पसर कर रहती है

    कष्टों में चिल्लाकर रोती है

    बातों को सोचती है

    कभी ख़ूब गप्पे मारती

    तो कभी यकायक मौन गंभीर।

    उसका खिल-खिलाकर हँसना

    याद दिलाता है गंगावतरण,

    उसका चुप होना आभास कराता है

    किसी भोले ताँडव की व्याकुलता का।

    ये ख़ुशी जानती है

    कि शब्द छलावा हैं ,

    लेकिन बेहद आवश्यक।

    मौन शाश्वत है लेकिन

    आवश्यक है मौन का टूटना।

    मैं ख़ुद से इतना प्रेम करती हूँ

    कि महसूसने लगी हूँ,

    प्रेम में बेख़ुदी का आनंद।

    और यकीन है मेरा,

    इस ब्रह्मवाक्य पर :

    कि जग का कोई एक ब्रह्मवाक्य है ही नहीं

    यद्यपि शब्द की सीमा मौन है,

    किंतु मौन का चरम है शब्द!

    स्रोत :
    • रचनाकार : आकृति विज्ञा 'अर्पण’
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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