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मार्च करती हुई मेरी कविताएँ

march karti hui meri kawitayen

शिवमंगल सिद्धांतकर

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मार्च करती हुई मेरी कविताएँ

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    कालनदी हजारा की मेरी कविताएँ

    गोले बारूद से लैस

    मार्च करने के लिए तैयार

    फ़िटनेस के इंतज़ार में

    जल्द से जल्द

    मुज़फ़्फ़रपुर पहुँचने के लिए

    जेल तोड़कर

    बलात्कारी शातिरों को मौत के घाट उतारने के लिए

    सिर्फ़ बिहार बंद में शामिल होने के लिए ही नहीं

    बिहार सरकार को उलटते हुए

    असम पहुँच जाने के लिए

    चालीस लाख लोगों की पंक्ति में शामिल होते हुए

    साढ़े छप्पन इंच का सीना ताने

    मानव-सभ्यता के परचम को बुलंद करते हुए

    मोदी-शाह की सत्ता को परास्त करते हुए

    दिल्ली दरबार को मौत का निमंत्रण देते हुए

    भारत-पाक सीमा पर पहुँच जाने के लिए

    अपने कश्मीरियों को नई लाल सुबह दिलाते हुए

    दुनिया भर के मेहनतकश अवाम को फिर-फिर जीत दिलाने के लिए

    फ़िटनेस का इंतज़ार में ठहरी हुई

    अब इंतज़ार नहीं करेंगी

    मेरी कविताएँ

    गिरते पड़ते हुए लड़ेंगी

    फ़िटनेस का इंतज़ार नहीं करेंगी

    फ़िटनेस का इंतज़ार अब नहीं करेंगी

    स्रोत :
    • पुस्तक : मार्च करती हुई मेरी कविताएँ (पृष्ठ 143)
    • रचनाकार : शिवमंगल सिद्धांतकर
    • प्रकाशन : अधिकरण प्रकाशन
    • संस्करण : 2019

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