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मंगेश पाडगाँवकर : एक दृष्टिकोण

mangesh paDaganwakar ha ek drishtikon

अनुवाद : दिनकर सोनवलकर

मंगेश पाडगाँवकर

मंगेश पाडगाँवकर

मंगेश पाडगाँवकर : एक दृष्टिकोण

मंगेश पाडगाँवकर

और अधिकमंगेश पाडगाँवकर

    उघड़े बदन जब पढ़ते रहते हैं बाबूजी

    तब दाढ़ी लगाए हुए

    भूरे कुम्हड़े की तरह दिखते हैं

    पढ़ते-पढ़ते हो जाते हैं ध्यानमग्न

    किताब रह जाती हाथ में

    और आध घंटे में ही घुर्राने लगते हैं।

    जब पहन लेते हैं गमबूट बरसात में,

    तब वे कहानी के

    राक्षस-से लगते हैं

    ऑफ़िस को जाने में

    ख़ुद ही करते देरी,

    और फिर बिना वजह

    सब पर चिल्लाते हैं।

    वैसे बहादुर हैं पिताजी

    डरते नहीं किसी से भी

    पर जब नाराज़ रहती है माँ

    तब बन जाते भीगी बिल्ली

    रसोई में माँ रहती है चुप

    और पिता डरते-डरते बतियाते हैं;

    हम अगर जाएँ वहाँ

    बाहर भगा देते हैं।

    कभी-कभी पिताजी

    रहते हैं मूड में

    'व्यायाम करना ही चाहिए'

    सुना कर कहते हैं, चलो घूमने—

    टैक्सी में जाते हैं

    टैक्सी से लौटते हैं,

    और हमारे बहाने से

    खाते हैं नमकीन चने और मटर के दाने।

    जब सुनता हूँ उनके मुख से

    कि कल तुम्हें पढ़ाऊँगा,

    मेरा मन भय से

    काँप-काँप जाता है,

    पढ़ाते कुछ भी नहीं

    डाँटते-डपटते फ़िज़ूल ही;

    काम और घंटे के सवालों में

    देखते हैं जवाब पहले से छिप कर ही।

    कभी-कभी माँ से होती है

    ज़ोरों की तकरार,

    ग़ुस्से में, जाकर सो जाते हैं

    दूसरे कमरे में,

    मैं कहता हूँ अच्छी सज़ा मिली

    अब बोलेगी नहीं माँ

    खाना पड़ेगा होटल में,

    कल से परसेगी नहीं माँ,

    सुबह देखता हूँ :

    कि पिताजी तो हैं माँ के पास

    मज़े से गहरी नींद में पड़े

    धुर्राटे भरते हैं।

    स्रोत :
    • पुस्तक : प्रतिनिधि संकलन कविता मराठी (पृष्ठ 128)
    • रचनाकार : मंगेश पाडगाँवकर
    • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन
    • संस्करण : 1965
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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