Font by Mehr Nastaliq Web

मरद जब खाने बैठता है

marad jab khane baithta hai

मिथिलेश कुमार राय

मिथिलेश कुमार राय

मरद जब खाने बैठता है

मिथिलेश कुमार राय

और अधिकमिथिलेश कुमार राय

    मरद जब खाने बैठता है

    औरत भी उसके सामने बैठ जाती है

    अगर मौसम गर्मी का होता है

    तब औरत के हाथ में एक पंखा ज़रूर होता है

    पंखे से औरत खाना खाते हुए मरद को हवा करती रहती है

    इस तरह वह एक भी मक्खी को

    मरद के खाने की थाली पर बैठने नहीं देती है

    मुँह में कौर डालते हुए मरद को

    औरत नहीं देखती

    वह दाल की कटोरी की तरफ़ देखती रहती है

    और पूरा ख़त्म होने से पहले उसे फिर से भर देती है

    औरत एक बार यह ज़रूर पूछती है

    कि सब्ज़ी कैसी बनी है

    और जवाब में अगर लाजवाब जैसा कोई शब्द जाता है

    तो वह उससे थोड़ी-सी सब्ज़ी और ले लेने की मनुहार करने लगती है

    मरद के खाने के क्रम में

    औरत कई बार रसोईघर की तरफ़ भागती रहती है

    वह वहाँ से हर बार कोई चीज़ लाकर

    मरद की थाली में रख देती है

    मरद जब तक आँख दिखाकर डाँट दे

    औरत परसने का आग्रह करना बंद नहीं करती है

    औरत अपने मरद से प्यार को

    इस तरह भी प्रकट किया करती है

    कि वह उसी थाली में भात ले लेती है

    और खा लेती है

    मरद औरत के लिए अपना प्यार

    किस तरह से प्रकट करता होगा!

    स्रोत :
    • रचनाकार : मिथिलेश कुमार राय
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए