Font by Mehr Nastaliq Web

एमरीदा

emrida

हरेकृष्ण झा

अन्य

अन्य

और अधिकहरेकृष्ण झा

    हुनका आउर केँ भेलनि

    जे हम सनकि गेली ग':

    भोट बला हाकिम सब केँ,

    भोटक पाछाँ बेहाल

    बाबू भैया सब केँ,

    बड़का टोपा बला

    सिपाही सब केँ:

    गरगोटिया द' क'

    बाहर कर' लगला

    सब गोरे मिलिजुलि क'।

    खूम खसेली

    भोट एमरीदा।

    हाथ छाप अप्पन छाप

    हँसुआ छाप हथौड़ा छाप

    अप्पन छाप छाता छाप

    कमल छाप सबहक छाप

    सब छाप

    सबहक छाप।

    खूम खसेली भोट

    एमरीदा।

    तमनी क' क'

    आएल रही तबधल,

    भोर मे जे गेल रही

    बासी मुहेँ,

    से दुपहरिया मे

    आएल रही हफसल,

    गेल रही मालिक ओइठाँ

    बोइन लए।

    बोइन

    ओत'

    के दइअए!

    मालिक आउर मलकिनी आउर

    सुन्नर सुन्नर नूआँबस्तर पेन्ह क'

    अपस्यांत छलैथ भोटक पाछाँ।

    बोइन द' कहलियनि

    झझकैत कहलखिहिन सब कोइ

    जे हमरा आउर

    मनुक्ख नञि बनबै कहियो,

    एनाहिते

    रहबै सब दिन,

    भोटो दिन एलियइऐ

    बोइने लइलए,

    हमरा आउर मनुक्ख

    नञि बनबै कहियो।

    ओह!

    छाक भरि

    पानियो

    नञि पीली त'-

    एको ढ़ेकरी

    नोन नञि रहइ

    कतउ;

    कोनाहितो क' जे एकटा टिकरी

    बना क'

    रखने रहइ ओ,

    से जखनिते ल' क' बैसली

    नोने बिना छुच्छे,

    कि लुधकि गेल कंटिरबा

    कंटिरबी आउर।

    बाँटिकुटि '

    बचल जे एकटा टुकड़ी

    अपना लेल,

    से खा

    पानि जे मँगली,

    एको चुरू

    पानि नञि कतउ!

    आब एइ रौद मे

    के लाब' जाओ पानि कलक

    कोस भरि सँ-

    कहलकै ओः

    पी ने अबउ ग'

    पोखरिये सँ-

    एखनी ओहो निमने हेतै...

    मुदा से इन्होर रहै

    पानि पोखरिक,

    जे दू घोँट सँ बेसी

    पीना नञि गेल,

    छनगले रहि गेल मोन...

    सड़क पर

    चलैत काल

    इन्होर पानिक गोला

    ढ़कर-ढ़कर

    करिते छल पेट मे,

    कि तखनिते

    जाइ छलखिहिन

    छोटका मालिक

    फटफटिया पर;

    देखिते मातर कहलखिहिन

    हमरा दमसा क':

    हमरा आउर सत्ते

    मनुक्ख नञि हेबइ कहियो,

    एखनियो तलिक

    भोट खसबै लै

    नञि गेलियइ-

    कहलखिहिन

    कोन दन छाप अपन।

    गेली जे बूथ पर ससरल

    ससरल,

    आसमर्द

    मचल छलइ,

    जरी देर पहिने

    चारि गो बम

    फुटल छलइ,

    पेस्तोल

    चलल छलइ,

    कइयेक गोरे

    भेल छलइ घाइल,

    खूम गर्दमगोल

    मचल छलइ।

    लोक आउर

    बजइ छलइ

    जे हमर मालिके आउर

    करबेने छलखिहिन सब

    अपन पाटी दिस सँ

    गुंडा

    मंगबा क'।

    गेली जे बूथ पर

    बबुआन आउर

    ओनाहिते

    लुधकि गेलखिहिन

    दहोदिस सँ,

    उपरौँझ कर' लगलखिहिन

    ओनाहिते,

    जेना लुधकि जाइ हइ

    हमरा आउरक चेंगना मेंगनी सब

    एकटा काँकौड़

    कि डोका पर

    बाध मे,

    उपरौँझ कर लगइ हइ

    जेनाहिते।

    भरि छाक ताड़ी

    पियबइ छलखिहिन

    कियो,

    मुट्ठा भरि बीड़ी

    दइ छलखिहिन कियो,

    तेलही जिलेबीक आबेस

    करइ छलखिहिन कियो,

    अपना-अपनी क'

    उताहुल भेल

    लागल छलखिहिन

    सब कियो।

    कि तखनिते एलखिहिन

    छोटका मालिक हमर

    फटफटिया हुरहुरबैत,

    तेना क' लाल-पीयर

    केलखिहिन अपन आँखि

    हमरा दिसन,

    जे लेली हम पुर्जी

    हुनका आदमी सँ

    हालि दने,

    लागि गेली

    लैन मे।

    गुड़कैत रहल

    इन्होर पानिक गोला

    पेट मे

    निचाँ सँ ऊपर

    ऊपर सँ निचाँ

    जाबत तलिक

    लागल रही लैन मे;

    जाबत जाबत पहुँची

    भोटक बाकस बला

    घेराबाक भितरी मे,

    कागत ठप्पा ली

    हाथ मे,

    ताबत ताबत

    गोला चढ़त चढ़त

    चलि गेल छैल

    माथ मे!

    मारैत मातर ठप्पा

    मालिकक कहलहा

    छाप पर

    फुटि गेल

    गोला माथ मे,

    बम फुटलाक बाद

    जेनाहिते

    मचि गेल रहइ गर्दमगोल

    बूथ पर,

    तेनाहिते

    एना नहि जे

    आसमर्द

    मचि गेल हमर

    मोन मे:

    मार' लगली ठप्पा हम

    तारमतोर

    ओइ छाप पर!

    कि बिच्चे मे एत्ते जोर सँ

    चिचिआएल

    नन्हकी कंटिरबी

    हमर मोन मे,

    जे आरो जोर सँ

    मार' लगली ठप्पा हम

    सब छाप पर

    तारमतोर;

    फेनो एत्ते जोर सँ

    हबोडेकार कान' लागल

    कंटिरबीक माए

    हमर मोन मे,

    जे लागल

    भोट बला ठप्पा नञि

    धुमसुर है

    हमर हाथ मे,

    भोट वला कागत

    लागल

    छोटका मालिकक छाती

    जाँकित।

    आइ भोर में तमनी

    करैत काल

    जे बुल द'

    बहराएल रहै

    अजोध गहुमन,

    तकरा जेना थकुचि

    देने रहियइ पसाठ

    पर पसाठ मारैत

    तारमतोर-

    तेनाहिते थकुच' लगली हम

    ओइ कागत केँ

    ठप्पा पर ठप्पा मारैत

    बेमत भ' क'!

    गर्दिन पर जे पड़ल कैगो

    हाथ

    एक्के संग

    फिरल, सुधिः

    सुनली

    जे भोट बला

    हाकिम आउर

    गरज रहलाहै:

    सनकि गिया है

    देहाती भुच्चर,

    बाहर करो

    बाहर करो

    इसको बूथ से -

    टोपा बला सिपाही आउर,

    बाबू बबुआन आउर,

    गरगोटिया द' क'

    धकिया रहल छला

    हमरा बाहर बूथ सँ।

    अपना ताव भरि

    कड़गर हियाव सँ

    क' रहल छली

    जोर हम

    सब केँ सिकस्त

    करबा लए!

    नीक नाहित

    फिरल

    जखनी सुधि,

    मोन जखनी

    भेल

    कनी थीर,

    छगुन्ता मे

    पड़ि गेली हम अपने,

    जे की भ'

    गेलइ एमरीदा -

    जे की क' देली हम

    एमरीदा!

    फेनो

    गुन' लगली

    हरखित होइत,

    जे हम खूम

    क' देली एमरीदा,

    खूम क' देली

    एमरीदा!!

    स्रोत :
    • पुस्तक : एना त नहि जे (पृष्ठ 149)
    • रचनाकार : हरेकृष्ण झा
    • प्रकाशन : रक्तमंजरी प्रकाशन
    • संस्करण : 2006

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY