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तुम सूरज बनकर आओ

tum suraj bankar aao

अग्निपुष्प

अग्निपुष्प

तुम सूरज बनकर आओ

अग्निपुष्प

और अधिकअग्निपुष्प

    कजली-सी है मेरे दिन-रात

    तुम सूरज बनकर आओ

    तुम चाँद बनकर आओ

    इस अँधेरे घर में

    हर तरफ़ साँप ही साँप लगता है।

    तुम बिजली बनकर आओ

    तुम आँचल तले दीया छिपाती आओ।

    इस बबूल-वन में

    कोई बजाता था बाँसुरी

    आज हर ओर आग लगी है

    तुम हवा बनकर आओ

    तुम पलास के फूल बन जाओ।

    मेरे देश की सोन-चिरैया

    चली गई महासमुद्र के पार

    तुम महाजाल लेकर आओ

    जेल की इस काल-कोठरी के चारों ओर है

    बाजों का बसेरा

    तुम सुलगते गाँवों के संदेश लेकर आओ

    मुक्ति का उद्देश्य लेकर आओ।

    स्रोत :
    • पुस्तक : मैथिली कविताएँ (पृष्ठ 44)
    • संपादक : ज्ञानरंजन, कमलाप्रसाद
    • रचनाकार : अग्निपुष्प
    • प्रकाशन : पहल प्रकाशन
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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