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मैंने धरती देखी

mainne dharti dekhi

पुरुषोत्तम शिवराम रेगे

पुरुषोत्तम शिवराम रेगे

मैंने धरती देखी

पुरुषोत्तम शिवराम रेगे

वहाँ उधर

जहाँ नवल विहग झिलमिलाते

आकाश की शाल पर

और एकदम सहसा

निश्चल सारी वृक्ष-राजि में से

एक ही लहरी गद्गद पत्ते हिलाकर आगे थिरकती है

कहीं तो भी चली जाती है

एक पुकार के अंतर पर

तालाब में जहाँ स्वच्छ बिल्लौर-जैसे

नीली-सफ़ेद कलियाँ किनारे...

ज़रा चिपटती, ज़रा खुलती हुई

और लंबी छायाएँ

भूलकर जहाँ

अँधेरी की राह में

अलसाती हैं

वहाँ उधर

पहली बार मैंने धरती देखी

रात की...

उदास, भोली,

चाँदनी में कभी अंग-अंग अलापती,

मन-मन में अँधेरे में खिलने वाली

वहाँ उधर

सहज ही जहाँ मैं बन गया

बूँद-बूँद वाले

मद, लज्जालु, घास के, शबनमी फूल

और अछोर खेतों पर की पगडंडियाँ

अपना बेपहचानापन भूलकर

चारों ओर से गीतवाहिनी बनकर आईं,

जहाँ कलिका के अंगो से छूकर

वायु नाच नाचने लगा...

दुनिया का दुनियापन फलित हुआ

वहाँ उधर

पहली बार मैंने धरती देखी

सवेरे की...

अनपेक्षित, नवोढ़ा, फुसलाने वाली, भीगी हुई,

यों ही मन में कुछ बौराने वाली

वहाँ उधर

स्तब्ध अकेला ज़रा एक बाजू में जहाँ

लाल फन वाली भीड़,

अधीर मेरा मन नापना चाहने वाला

और मरी अलक्ष्य आकाश की शुभ्र आग को

हवा बीजना बनी,

जहाँ केचुल गिराकर भुजंग बनता हूँ

प्रतिक्षण मैं अपने-आप नया—

वहाँ उधर

पहली बार मैंने धरती देखी

सीधी मध्याह्न की...

सत्त्वस्थ, विशाल,

सबके लिए ख़ुद जलने वाली

जिसकी ममता जानने से पहले

मैंने ही की,

जगाई।

स्रोत :
  • पुस्तक : भारतीय कविता 1954-55 (पृष्ठ 581)
  • रचनाकार : पुरूषोत्तम शिवराम रेगे
  • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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