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मैं हस्तक्षेप नहीं करना चाहता

main hastakshaep nahin karna chahta

अमिताभ चौधरी

अमिताभ चौधरी

मैं हस्तक्षेप नहीं करना चाहता

अमिताभ चौधरी

और अधिकअमिताभ चौधरी

    पहाड़ की टूट में भरी मिट्टी पर

    जो हरी घास है,

    वह पहाड़ के पानी होने की प्यास है?

    अरे, यह प्रश्न कि उत्तर तरलता चुके पानी जैसे

    विरुद्धों में

    जलसंधियों पर चुप है!

    उदास है!

    ओह, प्रिये!

    इसलिए तुम जाओ : तुम्हारी छावियों पर पलकें डालकर

    मैं हस्तक्षेप नहीं करना चाहता।

    मैं पहाड़ की टूट में मिट्टी होकर इसलिए नहीं भरना चाहता

    कि उसके पानी होने की प्यास

    पृष्ठ पर

    तुम्हारे आने के रास्ते में उगी घास है

    मेरे समक्ष।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अमिताभ चौधरी
    • प्रकाशन : सदानीरा वेब पत्रिका

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