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मैं अब भूलने लगा हूँ

main ab bhulne laga hoon

निवेदिता झा

निवेदिता झा

मैं अब भूलने लगा हूँ

निवेदिता झा

और अधिकनिवेदिता झा

    मत देखो मुझे हिक़ारत से

    मेरी यादें मेरा साथ छोड़ रही हैं

    साथ तो शरीर भी छोड़ रहा है

    मैं भूल जाता हूँ हर बार अपने कहे शब्द को

    और मेरे ज़ेहन में देर तक नहीं ठहरता कुछ भी

    मैं देखता हूँ तुम्हारे चेहरे की खीज़

    और झेंपता हूँ

    ज़ोर डालता हूँ

    शब्द बह जाते हैं

    मैं यादों की पतवार बना उसे आपनी नाव में बिठाना चाहता हूँ

    शब्द के नाव उम्र की बाढ़ में बह जाते हैं

    बस मुझे तुम्हारा चेहरा याद है

    तुम्हारी हँसी

    तुम्हारे बचपन के सवाल

    जिसे तुम बार-बार दुहराते थे

    और मैं कभी नहीं थकता था तुम्हारे सवालों से

    तुमने अभी-अभी कुछ कहा

    मुझे बार-बार समझाया

    मैं फिर भूल गया हूँ

    परेशान हूँ

    मैं अब शब्दों से डरने लगा हूँ

    उसकी चालाकियों से

    उसके घमंड से

    जो मुझे कह रहे हैं

    मैं नहीं तो तुम कुछ भी नहीं

    मेरे बच्चे ठहरो ज़रा

    मेरा हाथ थाम लो

    मुझे भरोसा दो

    शब्दों के बिना भी कुछ है जो हम सब के भीतर बहता है

    जैसे चुपचाप बहती है नदी

    जैसे आसमान में इंद्रधनुष के रंग

    जैसे शाखों पर बिना कुछ कहे खिलते है फूल

    तुम

    मेरे मन को समझ लेना

    उम्र की इस नदी में मैं डूब रहा हूँ

    तुम हाथ देना

    मुझे सिर्फ़ तुम्हारा स्पर्श याद है

    भरोसे और प्यार से भरा

    मैं अब नहीं डर रहा हूँ शब्दों से

    शब्द हैरान हैं

    शब्दों के शोर में

    बिना कुछ कहे कौन समझ सकता है

    मैं हँसता हूँ

    मेरे हाथों को तुम्हारे गर्म और ख़ूबसूरत हाथों ने जो थाम लिया है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : निवेदिता झा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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