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महानगर में बकरी

mahangar mein bakri

राकेश रंजन

राकेश रंजन

महानगर में बकरी

राकेश रंजन

और अधिकराकेश रंजन

    महानगर के जग-मग करते व्यस्त राजपथ के इस पार

    जाने कब से ताक रही है टुकुर-टुकुर बकरी लाचार

    उसको क्या मालूम कि यह है वधिकों की नगरी ख़ूँख़ार

    उसके सिर पर स्वार्थ-लोभ की लटक रही चम-चम तलवार

    उसके भूचुंबी थन घिस-घिस छिल-छिल जाते बारंबार

    दूध भरे थन से रह-रहकर बह पड़ती लोहू की धार

    उसके लिए नहीं रुक सकती पल भर ट्रैफ़िक की रफ़्तार

    माँ-माँ करते उसके बच्चे आस देखते हैं उस पार।

    स्रोत :
    • रचनाकार : राकेश रंजन
    • प्रकाशन : हिंदी समय

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