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माँ

maan

अहर्निश सागर

और अधिकअहर्निश सागर

    माँ हर रंग के वस्त्र को

    तुरंत सिल सकती थी

    उसके पास हर रंग के धागे थे

    एक धागा

    हम सबकी आत्मा के रंग का भी था।

    माँ टूटे बटन टाँक देती

    और उधड़े कपड़े रफ़ू कर देती

    प्रेम के गहरे क्षणों में

    कई बार उसने

    पिता की आत्मा को भी टाँका है

    लेकिन पिता कभी जान नहीं पाए

    जानेंगे जब उनकी आत्मा को

    टाँकने के लिए माँ नहीं होगी

    पिता का कुर्ता कई जगह से उधड़ गया था

    धागे निकल आए थे

    माँ कहती : लाओ सिल देती हूँ

    लेकिन पिता मना कर देते

    पिता अपने बुढ़ापे में

    ठीक वैसा ही दिखना चाहते थे

    जैसी माँ की आत्मा थी।

    सालों से माँ

    अपने कपड़े

    पिता के कपड़ों के साथ

    धोती रही है

    पिता के कपड़ों पर

    बहुत हल्का

    माँ के कपड़ों का रंग

    चढ़ गया है

    बहुत ध्यान से

    कभी उनको देखता हूँ

    पिता अब कुछ-कुछ माँ दिखते हैं।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अहर्निश सागर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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