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लोकतंत्र में विकास

loktantr mein vikas

माधव महेश

माधव महेश

लोकतंत्र में विकास

माधव महेश

और अधिकमाधव महेश

    (एक)

    चिड़ियों के घोंसले उजाड़ दिए गए 

    ही कोई नोटिस जारी हुई 

    ही कोई मुआवज़ा

    गिलहरियों के प्लेग्राउंड पर चले बुल्डोजर

    बग़ैर किसी पूर्व सूचना के 

    हिरनों से छीनकर उनकी गति 

    दे दी गई चमचमाती गाड़ियों को  

    बंदर से ले लिया गया उनका घर 

    यह कहते हुए कि 

    तुम्हारी पीढ़ियों को विकास की दरकार है 

    चींटियों के कोल्डस्टोरेज को कर दिया गया नेस्तनाबूद

    बगैर किसी चेतावनी के 

    सारे काम हुए 

    लोकतंत्रिक कहे जाने वाले देश में।

    (दो)

    फूलों ने अपना रस तितलियों को दे दिया 

    बदले में नहीं लिया एक भी पैसा 

    वृक्षों ने गिलहरियों और पक्षियों को रहने की जगह दी 

    बगैर किसी रजिस्ट्री किसी हाउस टैक्स के 

    नदी नालों ने दरियाई घोड़ों को दिया मन भर पानी 

    लेकिन नहीं लगाया कोई वाटर टैक्स 

    हिरनों नील गायों का झुँड नापता रहा पूरा जंगल 

    ही लगा उन पर रोड टैक्स 

    ही नील गायों से माँगा गया टोल टैक्स 

    बंदरों ने जी भरकर चखा अमरूद 

    पेड़ों से एक बार भी नहीं पूछा दाम 

    चींटियों ने बरसात से पहले ही भर लिया अपना गोदाम 

    बगैर कोई कोल्डस्टोरेज चार्ज दिए 

    यह कैसा जंगल का कानून है

    जहाँ कोई टैक्स ही नहीं लगता।

    स्रोत :
    • रचनाकार : माधव महेश
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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