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ईर्ष्या

irshiya

मारीना त्स्वेतायेवा

और अधिकमारीना त्स्वेतायेवा

    बीत रहा है जीवन कैसा

    अब उस औरत के साथ तुम्हारा

    क्या पहले से अच्छा

    पहले चप्पू के लगते ही

    पत्तन की सीमा-रेखा की भाँति

    याद का मेरा टापू

    (नहीं सिंघु में वरन् गगन में)

    पीछे छोड़ दिया है

    अरे प्राणियों

    तुम बन सकते केवल भाई

    और बहिन ही

    प्रेमी कभी नहीं

    उस मामूली औरत के संग

    जिसमें नहीं दिव्य गुण कोई

    बीत रहा है जीवन कैसा

    जो सम्राज्ञी रही तुम्हारी

    छोड़ गई है मंदिर अपना

    तुमने भी सिंहासन त्यागा

    बीत रहा है जीवन कैसा

    क्या तुम हरदम बहुत व्यस्त हो

    या दुर्बल होते जाते हो

    बिस्तर से उठने में भी क्या

    अपने को निर्बल पाते हो

    सतत निरर्थक बातों की याचक

    तुम क्या क़ीमत दोगे

    इतना क्षोभ परेशानी व्याकुलताएँ हैं

    घर एक किराये पर ले लूँगी अब मैं

    मेरे अपने

    मेरे वरण किए

    बतला दो इतना

    उस औरत के संग में

    जीवन बीत रहा है कैसा

    क्या तुमको भोजन स्वादिष्ट मिला करता है

    अगर अरुचि हो जाए उससे तो रोना मत

    तुम, जिसने रौंदा सिनाइ को, उसका जीवन

    उस सुनहरी मूर्ति के संग में

    बीत रहा है कैसा

    कैसा लगता है अब जीवन

    उस दुनियावी अनजानी औरत संग

    सच बतलाना

    उसे प्यार करते हो तुम क्या

    लज्जा

    क्या जीयस के क्रोध सरीखी

    भाल तुम्हारे पर है चाबुक नहीं मारती

    देती क्या धिक्कार नहीं है

    जैसा तुमने चाहा

    क्या जीवन वैसा है

    क्या तुमने अपने को ख़ुश महसूस किया है

    क्या गाते हो

    गा सकते हो

    दीन-पुरुष

    तुम अमर आत्मा की पीड़ा कैसे सहते हो

    इतना अधिक मूल्य देकर के

    जो है बेजा

    उस नुमायशी टीम-टाम संग

    बीत रहा है जीवन कैसा

    केर्रार-संगमरमर के पश्चात्

    प्लास्टर-पैरिस अब लगता है कैसा

    (अनगढ़ पत्थर को तराश कर

    मूर्ति बनाई गई देव की

    लेकिन खंड-खंड हो टूटी)

    तुम

    जिसने पिया लिलिथ अधरामृत

    उस असभ्य के साथ बिताते जीवन कैसे

    पेट अभी तक नहीं भरा क्या उससे

    बाज़ारू जो एक खिलौना पास तुम्हारे

    जादू अब तक क्या बाक़ी है उसका

    उस दुनियावी औरत के संग

    नहीं छठी इंद्रिय है जिसमें

    जीवन बीत रहा है कैसा

    अपने दिल पर क्रॉस बनाओ

    और बताओ

    क्या तुम उसके साथ सुखी हो

    अगर नहीं

    क्या विफल हुए हो

    क्या छिछलेपन की तरंग-सा

    क्या भयावना

    या वैसा ही जैसा मेरा

    किसी और के साथ चल रहा

    प्रिय बता दो

    जीवन बीत रहा है कैसा!

    जीयस : ग्रीक-इंद्र

    केर्रार : उत्तर-पश्चिम इटली का एक नगर

    लिलिथ : ईव के पैदा होने से पूर्व एडम की पत्नी

    स्रोत :
    • पुस्तक : एक सौ एक सोवियत कविताएँ (पृष्ठ 84)
    • रचनाकार : मारीना त्स्वेतायेवा
    • प्रकाशन : नेशनल पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली
    • संस्करण : 1975
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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