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लेट्स गो बैक टू टिब्बेट

lets go baik two tibbet

घनश्याम कुमार देवांश

घनश्याम कुमार देवांश

लेट्स गो बैक टू टिब्बेट

घनश्याम कुमार देवांश

और अधिकघनश्याम कुमार देवांश

     

    एक तिब्बती लड़की 
    अलस्सुबह 
    बड़े तेज़ क़दमों से गुज़रती है 
    मेरे घर के सामने के गलियारे में 
    अपनी गीली चप्पलों के साथ

    तिब्बती लड़की 
    हमेशा छींका¹ पहनकर निकलती है 
    और कंधे पर डाले रहती है 
    ‘लेट्स गो बैक टू टिब्बेट’ वाला 
    एक झोला 
    कि जैसे यही उसकी ज़िंदगी का 
    सबसे बड़ा ख़्वाब हो 
    तिब्बती छींका पहने लौट जाना ल्हासा की ओर 
    जहाँ के लामा 
    दुनिया भर का जादू जानते हैं

    तिब्बती लड़की ने अपने झोले में 
    विरासत में मिला धैर्य 
    इतनी अच्छी तरह सँभाला हुआ है 
    कि उसके पूरे वजूद में 
    कहीं कोई हड़बड़ी नहीं नज़र आती 
    बेचैनी की सीमा से परे 
    जब वह 
    दमगिन² बजाना शुरू करती है
    तो बेन जियाबाओ 
    बेचैन हो उठते हैं 
    और तेज़ क़दमों से टहलने लगते हैं 
    बीजिंग के अपने महल में

    तिब्बती लड़की 
    प्राय: बहुत धीमा गाती है 
    इतना धीमा कि 
    उसकी बंद आँखों को देखकर ही
    पता चल पाता है कि वह कुछ गा रही है 

    वह इतना अच्छा गाती है 
    कि लोग कहते हैं उसकी आवाज़ में जादू है 
    लेकिन लड़की जानती है 
    कि छिने हुए देश को 
    वापस पाने के लिए 
    उसकी आवाज़ का जादू काफ़ी नहीं है।
    ____________________________
    1. छींका : एक तिब्बती परिधान
    2. दमगिन : एक तिब्बती वाद्ययंत्र

    स्रोत :
    • रचनाकार : घनश्याम कुमार देवांश
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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