लेखन निर्मल जल है मन-दर्पण धोने का
lekhan nirmal jal hai man darpan dhone ka
कृष्ण मुरारी पहारिया
Krishna Murari Pahariya
लेखन निर्मल जल है मन-दर्पण धोने का
lekhan nirmal jal hai man darpan dhone ka
Krishna Murari Pahariya
कृष्ण मुरारी पहारिया
और अधिककृष्ण मुरारी पहारिया
लेखन निर्मल जल है मन-दर्पण धोने का
साधन है युग में जीने, जगने, होने का
लेखन बंदूक़ नहीं, लेखन संदूक़ नहीं
कहने या सुनने की बातें दो टूक नहीं
समाचार, जासूसी, औरत की जाँघ नहीं
भजन और प्रवचन का भी कोई स्वाँग नहीं
माध्यम है अपने को दर्द में डुबोने का
अपनी ही जड़ता से क्रूरतम लड़ाई है
इसका भी बोध, बग़ल बैठा जो, भाई है,
ऐसी अनुभूति, जो कि उम्र की कमाई है
इसका चिंतन, किसने दुश्मनी भँजाई है
कोटर है, शापित उस आग को सँजोने का
- पुस्तक : यह कैसी दुर्धर्ष चेतना (पृष्ठ 59)
- रचनाकार : कृष्ण मुरारी पहारिया
- प्रकाशन : दर्पण प्रकाशन
- संस्करण : 1998
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