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राजनेता का अधसच सपना

rajaneta ka adhsach sapna

सोमदत्त

सोमदत्त

राजनेता का अधसच सपना

सोमदत्त

और अधिकसोमदत्त

    घास का बघनखा पहने मैं हिरणों के झुंड में

    हिरणों के झुंड में घोड़े पर सवार शूर

    घोड़े पर सवार किए हिरण गिरफ़्तार मैंने

    हिरण गिरफ़्तार नन्हे मत-पेटी में बहार

    गूँज रही जै जै कार

    जै जै कार पर सवार मैं गया आम-सभा में

    कैसा अद्भुत गज! विराट जन-सागर में

    विराट जन-सागर में पनडुब्बी-सा निर्भय पुरुष

    निर्भय पुरुष के पाँवों तले लाखों चींटियों

    चींटियों की आँखों में शक्कर के पहाड़

    मची हुई मारामार

    मारामार पे सवार मैं लौटा आम-सभा से

    हार थे फूल थे गुलाल चापलूसी के

    गुलाल चापलूसी के ख़ूनख़ोर जानवर

    ख़ूनख़ोर जानवर की नसों में चमत्कार

    चमत्कार चींटियों की ढीठ बर्दाश्तियों में

    ढीठ बर्दाश्तियों की कोमल गादी पर

    सोया खर्राटे ले मैं लौट आम-सभा से

    नींद थी कुर्सी थी घुमाघुम वादे थे

    घुमाघुम वादों में मरते-खपते लोग

    मरते-खपते लोगों में यकायक अजीब जोश

    अजब जोश जैसे हो जंगल में लगी आग

    आग-आग हाँ मशाल, नत्थू-खैरों के हाथों में

    डरा तो टूटी नींद

    टूटी नींद पर बगटुट मैं भागा आम-सभा से।

    स्रोत :
    • पुस्तक : निषेध के बाद (पृष्ठ 128)
    • संपादक : दिविक रमेश
    • रचनाकार : सोमदत्त
    • प्रकाशन : विक्रांत प्रेस
    • संस्करण : 1981

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