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हँसना ख़ामोशी को तोडना है

hansna khamoshi ko toDna hai

संदीप तोमर

अन्य

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संदीप तोमर

हँसना ख़ामोशी को तोडना है

संदीप तोमर

और अधिकसंदीप तोमर

    हँसना ख़ुशी प्रकट करने की

    क्रिया मात्र नहीं है

    ख़ुद के ह्रदय पर बज्र की चोट

    और

    सहस्त्र वजन का पाषाण

    धारण किए

    रुपहला मुखौटा पहनने,

    कुटिल भावों को छिपाने

    या फिर दूसरो को अचरज में डालने का

    खिलौना भी है हँसी;

    जीवन का घिसटना, बर्फ़ की तपिश की मानिंद

    रात की कालिख से भयानक

    सपनो का कालापन

    बारिश के बाद परनालो से टपकता

    गादला पानी

    अधिक हुआ तो जमीन सा नजर आता

    कोई सुनहरा दलदल या फिर

    सर्दी में पेड़ पर काँपता गिलहरी का बदन

    उत्तर से बहती हवा का मर्मर

    जैसे साथ ले आया कोई हिमखँड

    कुहासे की किरण से पिघलता पाले का अंश

    कली के चटकने की

    कर्णप्रिय आवाज़ से

    आमंत्रण देता क्षण

    जैसे सरस्वती की वीणा की झंकार से

    फूट रहा संगीत

    हँसना सिर्फ़ संगीत की धुन नहीं;

    हँसना हँसने के बाद का

    ग़मगीन माहौल भी है

    हँसना देर रात तक पीटे गए

    पार्टी का खोखला ढोल भी है

    जैसे बकरे की मिमियाती आवाज़ में डूबा

    एक दर्दनाक अंदेशा कि

    फिर से मढ़ दिया जाऊँगा

    बनने को किसी और पार्टी की शान;

    हँसना ख़ामोशी को तोडना है

    चुप्पी के ताले में लग चाबी बन

    हँसी ख़ुश रहने का निमंत्रण बन

    अंतरिक्ष को थरथराने का यंत्र भी है

    एक कुटिल मुस्कान

    यौन विक्षिता का आमंत्रण बन

    कामुकता का गंदा नाच भी है;

    हँसी एक खिलौना बन

    ‘देवदास’ की चुप्पी तोड़ती

    चंद्रमुखी है

    या फिर पारो की चेतना पर

    ठहाके लगाती बदकिस्मती भी

    हँसना जीवन संवारना है

    या किसी अपने का बिखरना

    स्रोत :
    • रचनाकार : संदीप तोमर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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